सपा से निष्कासित विधायकों को विस में असंबद्ध सदस्य की मान्यता
उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने सपा से निष्कासित तीन विधायकों मनोज कुमार पांडेय अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह को असंबद्ध सदस्य के रूप में मान्यता दी है। ये विधायक राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने के बाद सपा से निष्कासित किए गए थे। अब इस फैसले के बाद वे विधानसभा में अलग बैठेंगे और भाजपा में शामिल होने के लिए कोई बाधा नहीं होगी।
राज्य ब्यूराे, जागरण लखनऊ। राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को वोट करने वाले ऊंचाहार विधायक मनोज कुमार पांडेय, गोसाईगंज विधायक अभय सिंह और गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह को गुरुवार को उप्र विधानसभा सचिवालय ने असंबद्ध सदस्य के रूप में मान्यता दे दी है।
17 दिन पहले सपा से निष्कासित कर दिया गया था। अब ये विधायक, विधानसभा के अंदर अलग बैठेंगे। उनके लिए भाजपा में अधिकृत रूप से शामिल होने में कोई बाधा नहीं होगी। इससे भाजपा पर भी तीनों को समायोजित करने का दबाव बढ़ गया है। फरवरी 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव में इन तीन विधायकों के साथ सपा विधायक विनोद चतुर्वेदी, राकेश पांडेय, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य ने भाजपा के पक्ष में क्रास वोटिंग की थी।
वहीं पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी विधायक महाराजी देवी मतदान से अनुपस्थित रही थीं। इसके चलते भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ जीत गए थे और सपा प्रत्याशी आलोक रंजन को हार का सामना करना पड़ा था। 23 जून को सपा ने एक्स हैंडल के माध्यम से तीनों विधायकों को पार्टी से निष्कासित किए जाने की जानकारी दी थी।
मामले को लेकर सपा प्रमुख ने भी चुटकी ली थी और कहा था कि हमने इन विधायकों की तकनीकी परेशानी दूर कर दी है। भाजपा ने उनको मंत्री बनाने का आफर दिया था। अब यदि उनको मंत्री बना दिया जाता है तो बाकी विधायकों के बारे में भी सोचा जाएगा।
असंबद्धता के बाद तीनों विधायकों के जल्द भाजपा में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इनमें से पूर्व में मंत्री रह चुके मनोज पांडेय व अन्य को मंत्री पद मिलने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। राज्यसभा चुनाव के बाद मनोज पांडेय को रायबरेली सीट से भाजपा का टिकट मिलने की भी चर्चाएं थीं।
हालांकि, बाद में दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दे दिया गया था। उस दौरान गृहमंत्री अमित शाह उनके घर भी गए थे, जिसके बाद उन्होंने खुलकर भाजपा प्रत्याशी के लिए प्रचार किया था। माना जा रहा है कि पूर्वांचल और अवध में समीकरणों के लिहाज भाजपा को इनके आने से लाभ भी मिल सकता है।
ये है असंबद्धता का मतलब
असंबद्ध घोषित किए जाने का मतलब यह है कि सपा से निष्कासन के बाद अब यह कार्यवाही विधायी स्तर पर भी पूरी हो गई है। इन विधायकों के लिए सदन में अलग बैठने की व्यवस्था की जाएगी, जैसा कि निर्दलीय सदस्यों के लिए होता है। वे विधानसभा में न तो सपा के कुनबे का हिस्सा रहेंगे और न ही किसी मान्यता प्राप्त दल का, जब तक वे किसी नई पार्टी से औपचारिक रूप से नहीं जुड़ते।
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