'UP Police आरोप पत्र दाखिल करने में लापरवाही बरत रही', DGP ने जताई नाराजगी, दिए ये आदेश
यूपी पुलिस द्वारा आरोपपत्र दाखिल करने में लापरवाही बरती जा रही है जिससे अपराधियों को जमानत मिलने की संभावना बढ़ जाती है। डीजीपी राजीव कृष्ण ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए लंबित मामलों के निस्तारण का आदेश दिया है। उन्होंने समय सीमा का पालन करने और वैज्ञानिक साक्ष्य जल्द उपलब्ध कराने पर जोर दिया है। पर्यवेक्षण अधिकारियों के हस्ताक्षर अनिवार्य किए गए हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। नए कानून के तहत गंभीर अपराधों में 90 दिन तथा 10 वर्ष से कम सजा वाले मामलों में 60 दिनों के भीतर आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल करने में पुलिस लापरवाही बरत रही है। कई बार तय समय में आरोपपत्र दाखिल न होने से आरोपितों को आसानी से जमानत मिल जा रही है।
डीजीपी राजीव कृष्ण ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई है। जिलों में लंबित आरोपपत्रों का अभियान के तहत निस्तारण कराने का निर्देश दिया है। एडीजी जोन, पुलिस आयुक्तों, आइजी व डीआइजी रेंज इसकी समीक्षा करेंगे।
डीजीपी ने कहा है कि आरोपपत्र व अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने की समय सीमा निर्धारित की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य पीड़ित को न्याय दिलाना है। अंतिम डायरी के साथ सीओ व लोक अभियोजक के माध्यम से आरोपपत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए।
सामान्य तौर पर सीओ व लोक अभियोजक के स्तर पर आरोपपत्र एक सप्ताह से अधिक समय के लिए अपने पास न रखा जाए। डीजीपी ने आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल करने से पूर्व उसमें पर्यवेक्षण अधिकारी के हस्ताक्षर व तिथि दर्ज न किए जाने को लेकर भी आपत्ति जताई गई है।
कहा, केस डायरी काे आनलाइन भरने व आरोपपत्र को आनलाइन फाइल किए जाने की व्यवस्था है। कहा, जिन मामलों में वैज्ञानिक साक्ष्य के लिए एफएसएल अथवा किसी अन्य विशेष की रिपोर्ट लंबित है, उनमें वरिष्ठ अधिकारी रिपोर्ट जल्द उपलब्ध कराने के लिए विशेषज्ञ इकाई से समन्वय बनाए।
ताकि रिपोर्ट अधिक दिनों तक लंबित न रहे। कहा, किसी प्रकरण में जिला स्तर पर कोई व्यावहारिक कठिनाई आने की दशा में पुलिस मुख्यालय को उसकी जानकारी दी जाए।
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