Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    100 वर्ग मीटर तक के प्लॉट पर निरीक्षण शुल्क खत्म, परमिट फीस सिर्फ 1 रुपया, UP में कॉमर्शियल भूखंड को लेकर भी बड़ा बदलाव

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 05:30 AM (IST)

    राज्य सरकार ने 100 वर्ग मीटर के आवासीय और 30 वर्ग मीटर के व्यावसायिक भूखंड पर निर्माण करने वालों के लिए राहत का निर्णय लिया है। अब भवन मानचित्र ...और पढ़ें

    Hero Image

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य सरकार ने 100 वर्ग मीटर के आवासीय व 30 वर्ग मीटर के व्यावसायिक भूखंड पर निर्माण करने वालों को बड़ी राहत देने का निर्णय किया है। अब भवन मानचित्र पास कराने पर इन्हें जहां निरीक्षण शुल्क नहीं देना पड़ेगा वहीं परमिट शुल्क भी सिर्फ एक रुपये लगेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसके लिए उप्र नगर योजना और विकास (विकास परमिट फीस, भवन परमिट फीस और निरीक्षण फीस का निर्धारण, उद्ग्रहण और संग्रहण) नियमावली-2024 को संशोधित करते हुए नए सिरे से बनाई गई प्रथम संशोधन नियमावली-2025 की अधिसूचना मंगलवार को जारी कर दी गई। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव पी गुरुप्रसाद की ओर से जारी छह पेज की संशोधित नियमावली संबंधी अधिसूचना में भवन निर्माण के लिए वसूले जाने वाले विभिन्न शुल्कों से संबंधित कई नियमों में बदलाव के साथ ही उन्हें स्पष्ट किया गया है।

    परमिट फीस सिर्फ एक रुपया

    भवन परमिट फीस को तो आवासीय भूखंड, समूह, कार्यालय व वाणिज्यिक उपयोग के मामले में यथावत पांच से 30 रुपये प्रति वर्ग मीटर ही रखा गया है लेकिन 100 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल वाले आवासीय और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंड के लिए भवन परमिट फीस सिर्फ एक रुपये कर दिया गया है। अभी तक पांच रुपये की दर से 100 वर्ग मीटर पर 500 रुपये फीस देना पड़ता था।

    भवन परमिट के मामले में निरीक्षण शुल्क कुल एफएआर (फर्शीय क्षेत्रफल अनुपात) पर 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर ही रखा गया है लेकिन 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय व 30 वर्ग मीटर के व्यावसायिक भूखंड पर अब नहीं देना होगा। अब तक 100 वर्ग मीटर के आवासीय भूखंड पर दो हजार रुपये निरीक्षण शुल्क वसूला जाता था।

    उल्लेखनीय है कि पूर्व में शासनादेश के तहत विकास प्राधिकरणों द्वारा भवन परमिट, विकास परमिट और निरीक्षण फीस आदि वसूलने पर सर्वोच्च अदालत द्वारा रोक लगाए जाने पर राज्य सरकार ने पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम के तहत नए सिरे से नियमावली बनाकर फीस वसूलने का रास्ता साफ किया था। फीस से होने वाली आय को अवस्थापना विकास निधि में जमा किया जाता है। विकास प्राधिकरण शहर में अवस्थापना संबंधी कार्य कराने पर इसे खर्च करते हैं।