यूपी में पिछले साल से ज्यादा जली पराली, सबसे आगे निकला ये जिला, जागरूकता के प्रयास रहे असफल
उत्तर प्रदेश में पिछले साल की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद, किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। एक विशेष जिला इस मामले में सबसे आगे है, जहां सबसे अधिक पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं। पराली जलाने से वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है।

दिलीप शर्मा, लखनऊ। सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी प्रदेश में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं पिछले साल से आगे निकल गई हैं। 15 सितंबर से 26 नवंबर के बीच 6284 घटनाएं सामने आई हैं, जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले इनमें लगभग एक हजार से अधिक की बढ़ोतरी है। घटनाओं के मामले में अब तक महराजगंज 661 मामलों के साथ सबसे आगे चल रहा है।
इसके बाद झांसी, जालौन और कानपुर देहात में सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। किसानों को जागरूक करने, जुर्माना लगाने, सेटेलाइट से निगरानी आदि के बाद भी लगभग 60 जिले ऐसे हैं, जहां फसल अवशेष को आग लगाने के मामले में कम होने के बजाय पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़े हैं। हालांकि आठ जिलों में तीन से आठ घटनाएं ही हुई हैं, जो थोड़ी राहत दे रही हैं।
पिछले कई साल से फसल अवशेषों को खेतों में जलाने की घटनाओं पर अंकुश की कोशिश चल रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरआइ) की ओर से सेटेलाइट से पकड़े मामलों की जानकारी साझा की जाती है।
प्रत्येक 50 से 100 किसानों पर एक नोडल अधिकारी की भी नियुक्ति की गई है और किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों, कंपोस्टिंग तकनीक और बायो-डीकंपोजर के उपयोग के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित भी किया गया है।
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल 1304 मामलों में 27,85,500 रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। इसके अलावा ब्लाक-गांव स्तर पर 3920 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं और एक हजार से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षित किया गया है।
हालांकि, आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो इसका कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा। आइएआरआइ के आंकड़ों के हिसाब से पिछले वर्ष प्रदेश में 5248 मामले सामने आए थे, जो इस बार बढ़ गए हैं।
कृषि निदेशक डा. पंकज त्रिपाठी ने बताया कि सेटेलाइट डेटा में कुछ अन्य मामले भी शामिल हो जाते हैं। कुल 5968 घटनाएं पुष्ट हुई हैं, हालांकि यह भी पिछले वर्ष से अधिक हैं। विभाग ऐसे मामलों में लगातार कार्रवाई कर रहा है। इस बार वर्षा के कारण भी कुछ किसानों ने खेत सुखाने के लिए ऐसा किया है।
पांच वर्ष में कितनी घटनाएं
| वर्ष | घटनाएं |
| 2020 | 4006 |
| 2021 | 3617 |
| 2022 | 2663 |
| 2023 | 3737 |
| 2024 | 5248 |
| 2025 (26 नवंबर तक) | 6284 |
यहां सबसे ज्यादा जले फसल अवेशष
- महाराजगंज - 661
- झांसी - 448
- जालौन - 359
- कानपुर देहात - 275
- गोरखपुर - 192
ये जिले दे रहे राहत
फसल अवशेष जलाने की कम घटनाओं के मामले में वाराणसी में तीन मामले सामने आए हैं। वहीं संत रविदासनगर में चार, चंदौली, सोनभद्र, फर्रुखाबाद, ललितपुर व आगरा में पांच-पांच और कासगंज में आठ मामले सामने आए हैं। आगरा, प्रयागराज, अमरोहा, बदायूं, बलिया, बाराबंकी, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में पिछले वर्ष के मुकाबले फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की संख्या कम रही है।

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