यूपी में आवारा पशु और कुत्तों प्रबंधन न करने पर अधिकारी होंगे दंडित, नगर विकास विभाग ने जारी किए दिशा-निर्देश
उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं और कुत्तों के प्रबंधन में लापरवाही बरतने पर अधिकारियों को दंडित किया जाएगा। नगर विकास विभाग ने इस संबंध में दिशा-निर्देश ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राजमार्गों पर आवारा पशुओं और संस्थागत क्षेत्रों में आवारा कुत्तों के प्रबंधन की व्यवस्था न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
नगर विकास विभाग ने लोक निर्माण, स्वास्थ्य, परिवहन, पशुपालन, उच्च, बेसिक, माध्यमिक व्यावसायिक शिक्षा, खेल, गृह, पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में जरूरी दिशा-निर्देशों की जानकारी दी है।
इसमें प्राधिकरणों, परिवहन, लोक निर्माण विभाग, एनएचएआइ को अपने अधिकार क्षेत्र से आवारा पशुओं को हटाना होगा। आवारा पशुओं को हटाकर गौशाला या अन्य पशु आश्रय स्थलों में भोजना होगा। एनएचएआइ, पीडब्लूडी को राजमार्ग पर 24 घंटे निगरानी के लिए गश्ती दल का गठन करना होगा।
साथ ही जगह-जगह हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित करना होगा। मुख्य सचिव और एनएचएआइ अध्यक्ष को चूक या घटनाओं के लिए संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेही तय करना होगा।
इसी तरह आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए स्थानीय निकायों को सरकारी, निजी शैक्षणिक संस्थान, अस्पतालों, खेल परिसर, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशनों की पहचान करनी होगी। हर तीन महीने में कम से कम एक बार निरीक्षण करना होगा कि आवारा कुत्तों का कहीं आवास न विकसित हो रहा हो।
परिसर के भीतर पाए गए आवारा कुत्तों को तुरंत हटाकर नसबंदी और टीकाकरण करने के बाद आश्रय स्थल में भेजना होगा। ऐसे कुत्तों को वापस उसी स्थान पर नहीं छोड़ा जाएगा।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को संस्थागत परिसरों में कुत्ते के काटने की रोकथाम और प्रबंधन के लिए गाइडलाइन जारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके अलावा सरकारी चिकित्सा सुविधाओं में एंटी रैबीज टीके, इम्यूनोग्लोबिन की उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी होगी।

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