UP : ईंट भट्ठा संचालकों को मिल सकती है राहत, नियमावली में संशोधन जल्द
UP News: नियमावली में संशोधन के बाद पुराने भट्ठों को राहत मिल जाएगी, हालांकि उन्हें यह साबित करना होगा कि उनकी स्थापना नियमावली बनने से पहले हुई है। इसके लिए वैट में पंजीकरण, जिला पंचायत या नगरीय निकाय की अनुमति अनुमति आदि दिखानी होगी।

ईंट भट्ठा
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : वर्ष 2012 में ईंट-भट्ठों को लेकर प्रदेश में पहली नियमावली बनी थी, इसके अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश के लगभग 6500 ईंट भट्ठे अवैध घोषित हो गये थे। यह ऐसे भट्ठे हैं जो नियमावली लागू होने से पहले से संचालित थे, अब इनमें से पांच हजार से अधिक को राहत मिल सकती है। सरकार इसके लिए ईंट भट्ठा नियमावली 2012 में संशोधन करने जा रही है। संशोधन के बाद जिन ईंट भट्ठों के पास वर्ष 2012 से पहले जिला पंचायत या अन्य किसी सरकारी विभाग में पंजीकरण या एनओसी है तो उन्हें संचालन की राहत मिल सकती है।
नियमावली के अनुसार ईंट-भट्ठों को संचालन के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति के साथ ही जिला प्रशासन, माइनिंग लीज, जिला पंचायत से अनुमति आदि जरूरी है। चिमनी की ऊंचाई, उत्सर्जन आदि के मानक भी तय हैं। भट्ठों के चारों ओर 10 मीटर चौड़ी हरित पट्टी या जहां जगह नहीं है वहां तीन मीटर ऊंची दीवार बनाने के नियम हैं। भट्ठों के लिए न्यूनतम दो एकड़ का क्षेत्रफल जरूरी है। इन नियमाें का पालन न करने वाले ईंट-भट्ठों को अवैध करार दिया गया था।
नियमावली में संशोधन के बाद पुराने भट्ठों को राहत मिल जाएगी, हालांकि उन्हें यह साबित करना होगा कि उनकी स्थापना नियमावली बनने से पहले हुई है। इसके लिए वैट में पंजीकरण, जिला पंचायत या नगरीय निकाय की अनुमति अनुमति आदि दिखानी होगी। इसके बाद इन्हें नई नियमावली के सख्त नियमों से राहत देकर फिर से संचालन की अनुमति दी जा सकती है। जल्द ही नियमावली संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
वहीं, नए ईंट-भट्ठा लगाने वालों को भी राहत मिलने जा रही है। वर्ष 2012 की नियमावली के अनुसार ईंट-भट्ठे स्कूल-कालेज या आबादी से एक किलोमीटर की दूरी पर भी लगाए जा सकते हैं। सरकार इसमें भी राहत देकर इस दूरी को घटाकर 800 मीटर करने जा रही है। यानी अब आबादी से 800 मीटर की दूरी पर भट्ठा लगाए जा सकते हैं। साथ ही सरकार पर्यावरण-अनुकूल तकनीक अपनाने वाले भट्ठों को प्रोत्साहन देने की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है।

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