UP News: पद से हटते ही पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह पर सख्ती, होगी दस करोड़ रुपये की वसूली
Action of Dy CM Keshav Prasad Maurya: उद्यान एवं खाद्य संस्करण विभाग के अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा ने यूपीडास्प के प्रबंध वित्त व तकनीकी समन्वयक शैलेन्द्र प्रताप सिंह से दस करोड़ रुपये वसूलकर जमा करने के लिए कहा है। इसी पत्र के आधार पर पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को नोटिस भेजा गया है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊः राज्य सरकार पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से दस करोड़ रुपये की वसूली करेगी। मनोज कुमार सिंह ने कृषि उत्पादन आयुक्त(एपीसी) रहते खाद्य एवं प्रसंस्करण नीति-2023 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर चार फर्मों को भुगतान करने का निर्णय किया था।
खाद्य प्रसंस्करण विभाग का भी दायित्व संभाल रहे उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने गाइड लाइन के विपरीत किए गए भुगतान के मामले को गंभीरता से लेते हुए मनोज कुमार सिंह से दस करोड़ रुपये वसूलने के निर्देश दिए हैं। इस पर उद्यान एवं खाद्य संस्करण विभाग के अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा ने यूपीडास्प के प्रबंध वित्त व तकनीकी समन्वयक शैलेन्द्र प्रताप सिंह से दस करोड़ रुपये वसूलकर जमा करने के लिए कहा है।
इसी पत्र के आधार पर पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को नोटिस भेजा गया है। नोटिस में कहा गया है कि यूपीडास्प (उत्तर प्रदेश विविध कृषि सहायता परियोजना) को खाद्य प्रसंस्करण नीति के क्रिन्यावयन के लिए 10 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की गई थी। इस धनराशि को खर्च करने में अनियमितता बरती गई है, इसलिए दस दिनों में इसे सरकारी खजाने में जमा किया जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने व फसलों के सही आंकड़ें एकत्र करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का शुभारंभ किया था। इस नीति के क्रिन्यावयन के लिए यूपीडास्प को दस करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी। राज्य में करीब आठ करोड़ खेत हैं। किस खेत में कौन-कौन सी फसल की खेती की जा रही है भौतिक रूप से इसका सही आंकलन कर पाना संभव नहीं था।
नतीजतन यूपीडास्प ने राज्य में फसलों के सैटेलाइट सर्वेक्षण के लिए चार कंपनियों का चयन किया था। इन कंपनियों को 18 से 20 जिले सौंपे गए थे। कंपनियों ने संबंधित जिलों में फसलों का सैटेलाइट सर्वेक्षण कर उसकी रिपोर्ट सरकार व कृषि विभाग को सौंपी है। सूत्रों के अनुसार नीति के क्रिन्यावयन के लिए तय किए गए दिशा-निर्देशों को किनारे कर कंपनियों से सर्वेक्षण का कार्य कराया गया था।
दस करोड़ रुपये वसूलने की नोटिस के संबंध में मनोज कुमार सिंह का कहना है कि जिस समय संबंधित परियोजना शुरू की गई थी उस समय वे कृषि उत्पादन आयुक्त रहते हुए यूपीडास्प के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने बताया कि इस नोटिस का कोई मतलब नहीं है। जिस अवधि को लेकर यह नोटिस भेजा गया है उस अवधि में उनके अलावा दो और अधिकारी भी अलग-अलग समय में यूपीडास्प के अध्यक्ष रहे।
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