UP News: ‘संभव’ से नाटेपन और एनीमिया में आई गिरावट, मातृ-शिशु पोषण में सशक्त हस्तक्षेप बना बदलाव की नई मिसाल
उत्तर प्रदेश में मातृ-शिशु पोषण में सुधार हुआ है। ‘संभव अभियान 5.0’ के कारण नाटेपन कम वजन और एनीमिया में गिरावट आई है। इस योजना में महिलाओं को आयरन फोलिक एसिड और नवजात शिशुओं की देखभाल पर ध्यान दिया जा रहा है। छह माह सात बार रणनीति से कुपोषण की पहचान हो रही है और जरूरतमंद बच्चों को सहायता मिल रही है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में मातृ-शिशु पोषण के क्षेत्र में सुधार हो रहा है। राज्य में स्टंटिंग यानी नाटेपन 6.5 प्रतिशत, अंडरवेट बच्चों की दर 7.5 प्रतिशत और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया 5.2 प्रतिशत घटा है।
ये बदलाव किसी सामान्य प्रयास का नतीजा नहीं, बल्कि प्रदेश सरकार की ‘संभव अभियान 5.0’ जैसी ठोस रणनीति का परिणाम है, जो माताओं और नवजातों के पोषण को लेकर चल रही एक बड़ी सरकारी पहल है।
यह तीन माह (जुलाई से सितंबर) की थीम आधारित योजना है। इसमें जुलाई में मातृ पोषण के तहत महिलाओं को आयरन, फोलिक एसिड और पोषक आहार मुहैया कराया जा रहा है।
अगस्त में नवजात देखभाल और स्तनपान जागरूकता और सितंबर में ऊपरी आहार की शुरुआत और उसकी सही विधि सिखाने पर जोर है। अभियान की सबसे खास रणनीति है ‘छह माह, सात बार’, जिसमें शून्य से छह माह तक के बच्चों की सात बार स्वास्थ्य जांच की जाती है।
इससे कुपोषण की पहचान समय से हो रही है और जरूरतमंद बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जा रहा है। राज्य के 75 जिलों में 7500 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 9.8 लाख से अधिक बच्चों की स्टंटिंग जांच की गई।
हर केंद्र पर एक-एक नोडल अधिकारी तैनात हैं, जो जांच, मानिटरिंग और आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद कर रहे हैं। मोबाइल एप आधारित मानिटरिंग, रीयल टाइम डाटा कैप्चरिंग और 60 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से पुष्टाहार वितरण से अभियान को तकनीकी ताकत मिली है। अब प्रदेश में संस्थागत प्रसव दर 84 प्रतिशत से ऊपर है।
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