UP News : नक्षत्रशाला में अटका ‘अंतरिक्ष’! न तो यहां आसमान के तारे दिख रहे हैं और न ही अंतरिक्ष की जानकारी देने वाले शो हो रहे
Planetarium in UP is closed from Long Time तीनों प्रमुख नक्षत्रशालाएं लखनऊ गोरखपुर और रामपुर फिलहाल पूरी तरह से बंद हैं। कहीं मरम्मत चल रही है तो कहीं आधुनिकीकरण की तैयारी। विज्ञान और अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले छात्र-युवाओं और आमजन के लिए ये नक्षत्रशालाएं एक बड़ी उम्मीद हैं लेकिन फिलहाल इनका संचालन नहीं हो रहा है।

विवेक राव, जागरण, लखनऊ : प्रदेश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लेकर भले ही बड़ी-बड़ी योजनाएं बन रही हो, लेकिन धरातल पर इसकी शुरुआत धीमी है। इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला, लखनऊ इसका बड़ा उदाहरण है। करीब 30 करोड़ रुपये खर्च कर तीन वर्ष में तैयार हुई अत्याधुनिक नक्षत्रशाला अब भी उद्घाटन का इंतजार कर रही है। नतीजतन, न तो यहां आसमान के तारे दिख रहे हैं और न ही अंतरिक्ष की जानकारी देने वाले शो हो रहे हैं।
प्रदेश की तीनों प्रमुख नक्षत्रशालाएं, लखनऊ, गोरखपुर और रामपुर फिलहाल पूरी तरह से बंद हैं। कहीं मरम्मत चल रही है तो कहीं आधुनिकीकरण की तैयारी। विज्ञान और अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले छात्र-युवाओं और आमजन के लिए ये नक्षत्रशालाएं एक बड़ी उम्मीद हैं, लेकिन फिलहाल इनका संचालन नहीं हो रहा है।
लखनऊ के इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी। इसे नई डिजिटल और थ्रीडी तकनीकों से सजाने का काम वर्ष 2021 में शुरू हुआ था। करीब 30 करोड़ रुपये की लागत से नवीनीकरण पूरा भी हो गया, लेकिन जनवरी 2025 से तैयार होने के बावजूद अब तक इसका उद्घाटन नहीं हो पाया है। हर दिन बड़ी संख्या में लोग, खासकर स्कूलों के बच्चे, यहां पहुंचते हैं लेकिन निराश होकर लौट जाते हैं। कोई बताने वाला नहीं होता कि आखिर कब यह फिर खुलेगा।
लखनऊ के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हाल ही में अंतरिक्ष की यात्रा से लौटे। यह प्रदेश के लिए ऐतिहासिक मौका था, लेकिन अफसोस है कि राजधानी की यह नक्षत्रशाला इस पल को लोगों तक दिखाने में नाकाम रही। यदि खुली होती तो स्कूली छात्र-छात्राएं और आम लोग आधुनिक थ्रीडी तकनीक से इस ऐतिहासिक यात्रा को अनुभव कर सकते थे।
वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला, गोरखपुर जो वर्ष 2009 से संचालित हो रही थी, को अक्टूबर 2024 में बंद कर दिया गया। इसका आधुनिकीकरण कार्य फिलहाल प्रगति पर है और विकास प्राधिकरण के माध्यम से किया जा रहा है।
रामपुर की आर्यभट्ट नक्षत्रशाला वर्ष 2012 में शुरू हुई थी, लेकिन अब यह भी बंद है। इसके उपकरणों के आधुनिकीकरण का कार्य वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रस्तावित है। तीनों नक्षत्रशालाएं बंद हैं और प्रदेश में फिलहाल एक भी नक्षत्रशाला संचालित नहीं हो रही।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने आगरा, बांदा, बरेली, वाराणसी और अन्य जिलों में नई नक्षत्रशालाएं और विज्ञान पार्क खोलने की योजना बना रखी है। प्रस्ताव भूमि की उपलब्धता के अनुसार आगे बढ़ेंगे, लेकिन पहले से मौजूद केंद्रों की हालत सुधारना ज्यादा जरूरी है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि लखनऊ की नक्षत्रशाला को जल्द शुरू किया जाएगा, लेकिन तारीख बताने से परहेज किया जा रहा है।
कब दिखेंगे ‘तारे जमीन पर’
विज्ञान और अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले लाखों छात्र, शिक्षक और विज्ञानप्रेमी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि ये नक्षत्रशालाएं फिर से कब खुलेंगी। खासकर लखनऊ की नक्षत्रशाला, जो अब आधुनिक तकनीक और अत्याधुनिक संसाधनों से लैस है, प्रदेश की वैज्ञानिक सोच और तकनीकी प्रगति का प्रतीक बन सकती है।
बशर्ते इसे शुरू कर दिया जाए। अब देखना यह है कि विज्ञान और अंतरिक्ष को नजदीक से दिखाने वाली ये नक्षत्रशालाएं फिर कब ‘चमकेंगी या फिर उद्घाटन के इंतजार में यूं ही बंद पड़ी रहेंगी।
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