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    UP News : उत्तर प्रदेश में भवन मानचित्रों की आनलाइन स्क्रूटनी 30 सिंतबर तक रहेगी ठप, चार जुलाई से हुई थी शुरू

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 11:54 AM (IST)

    Uttar Pradesh Infra Development समिति में लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मुख्य नगर नियोजक व वित्त नियंत्रक मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक आवास बंधु के आइटी एक्सपर्ट को सदस्य और आवास बंधु के निदेशक को समिति का संयोजक बनाया गया है। मानचित्रों का परीक्षण सीधे संबंधित अभिकरणों के नगर नियोजक व अभियंता करेंगे।

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    ब्यूरोः भवन मानचित्रों की आनलाइन स्क्रूटनी ठप रहेगी 30 सिंतबर तक

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश में चार जुलाई से लागू की गई भवन निर्माण एवं विकास उपविधि तथा आदर्श जोनिंग रेगुलेशन्स-2025 के अनुसार भवन मानचित्रों की आनलाइन स्क्रूटनी कर मंजूरी देने की व्यवस्था 30 सितंबर तक ठप रहेगी।

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    यह व्यवस्था चार जुलाई से लागू की गई थी। ऐसे में विकास प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद में आनलाइन जमा होने वाले मानचित्रों का परीक्षण सीधे संबंधित अभिकरणों के नगर नियोजक व अभियंता करेंगे।

    इस बीच बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम(ओबीपीएएस) और फास्टपास सिस्टम के स्क्रूटनी इंजन को नई उपविधि के मानकों के अनुसार बनाकर मानचित्रों की स्वीकृति की प्रक्रिया के निर्बाध संचालन के लिए राज्य सरकार ने आवास एवं शहरी नियोजन के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है।

    समिति में लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, मुख्य नगर नियोजक व वित्त नियंत्रक, मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक, आवास बंधु के आइटी एक्सपर्ट को सदस्य और आवास बंधु के निदेशक को समिति का संयोजक बनाया गया है।

    चूंकि नई उपविधि में भवन निर्माण के मानकों में सरकार ने तमाम छूट दी है इसलिए माना जा रहा है कि बड़े पैमाने पर भूखंड स्वामियों द्वारा मानचित्र स्वीकृति कराने के लिए प्राधिकरण-परिषद में आवेदन किया जाएगा।

    चूंकि मानचित्र को पास करने वाला मौजूदा आनलाइन सिस्टम वर्ष-2008 की उपविधि के मानकों के अनुसार ही है जिसे नई उपविधि के अनुसार बनाने में लगभग दो माह लग सकते हैं इसलिए 30 सितंबर तक पूरी प्रक्रिया ठप रहेगी।

    इस बीच जो भी मानचित्र आनलाइन जमा किए जाएंगे उऩ्हें स्वीकृति करने में दिक्कत न हो इसके लिए समिति की संस्तुति पर सरकार ने तय किया है कि संबंधित मानचित्रों की आनलाइन स्क्रूटनी के बजाय सीधे प्राधिकरण या परिषद के नगर नियोजकों-अभियंताओं से परीक्षण कराकर उन्हें मंजूरी दे दी जाए।

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