UP News: अब नहीं हाेगा बजट का राेना, पांच गुणा बढ़ाए गए अभियंताओं के वित्तीय अधिकार
Review Meeting of UP PWD: विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकार वर्ष 1995 में निर्धारित किए गए थे। इसके बाद के 30 वर्षों में निर्माण कार्यों की लागत में पांच गुणा से अधिक की वृद्धि हो चुकी है। कास्ट इंफ्लेशन इंडेक्स के अनुसार वर्ष 1995 की तुलना में वर्ष 2025 तक लगभग 5.52 गुणा वृद्धि दर्ज की गई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी आवास में लोनिवि की समीक्षा बैठक की
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुणा तक वृद्धि किए जाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा है कि इस निर्णय से विभागीय अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वायत्तता मिलेगी।
उच्च स्तर से अनुमोदन की आवश्यकता कम होने से निविदा, अनुबंध गठन तथा कार्यारंभ की प्रक्रिया में तेजी आएगी। यह सुधार वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने में सहायक होगा।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें बताया गया कि विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकार वर्ष 1995 में निर्धारित किए गए थे। इसके बाद के 30 वर्षों में निर्माण कार्यों की लागत में पांच गुणा से अधिक की वृद्धि हो चुकी है। कास्ट इंफ्लेशन इंडेक्स के अनुसार वर्ष 1995 की तुलना में वर्ष 2025 तक लगभग 5.52 गुणा वृद्धि दर्ज की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण आवश्यक है, जिससे निर्णय प्रक्रिया में तेजी आए और परियोजनाओं का क्रियान्वयन समय से किया जा सके। निर्णय लिया गया कि सिविल कार्यों के लिए अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों की सीमा पांच गुणा तक तथा विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए कम से कम दो गुना तक बढ़ाई जाए।
इस निर्णय के अनुसार मुख्य अभियंताओं को दो करोड़ के स्थान पर 10 करोड़ रुपये तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार होगा। अधीक्षण अभियंता के वित्तीय अधिकार को एक करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये किया गया है। अधिशासी अभियंता के वित्तीय अधिकार 40 लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये किए जाएंगे। सहायक अभियंताओं को सीमित दायरे में टेंडर स्वीकृति एवं छोटे कार्यों की अनुमति देने के अधिकार बढ़ाए जाएंगे।
बैठक में उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली-1990 में संशोधन के माध्यम से विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग की सेवा संरचना, पदोन्नति व्यवस्था तथा वेतनमान पुनर्गठन से जुड़े प्रस्तावों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। बताया गया कि नियमावली में किया जा रहा यह संशोधन विभागीय अभियंताओं की सेवा संरचना को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से किया गया है।
संशोधित नियमावली में विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद सम्मिलित किया गया है। इसके साथ मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या में वृद्धि की गई है। नवसृजित पदों को नियमावली में समाहित करते हुए उनके पदोन्नति स्रोत, प्रक्रिया और वेतनमान को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जिससे सेवा संरचना अधिक पारदर्शी और संगठित हो सके।
मुख्य अभियंता (स्तर-एक) के पद पर पदोन्नति मुख्य अभियंता (स्तर-दो) से वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी। इसी प्रकार मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों पर भी पदोन्नति की प्रक्रिया को नियमावली में स्पष्ट किया गया है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप अधिशासी अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता (स्तर-एक) तक के पदों के वेतनमान और मैट्रिक्स पे लेवल भी निर्धारित किए गए हैं।
चयन समिति की संरचना को अद्यतन किया गया है, जिससे पदोन्नति और नियुक्ति की कार्यवाही अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ की जा सके। वित्तीय अधिकारों में वृद्धि और उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली-1990 में संशोधन का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट के समक्ष स्वीकृति के लिए रखा जाएगा।
सीएम ने कहा सेवा नियमावली पारदर्शी बनाना आवश्यक
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग राज्य की विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन का प्रमुख विभाग है, इसलिए अभियंताओं की सेवा नियमावली को समयानुकूल, व्यावहारिक और पारदर्शी बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति व्यवस्था से विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना को नई दिशा मिलेगी।

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