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    UP News: किसानों को भारी पड़ेगी लापरवाही, 15 हजार तक का जुर्माना वसूलेगी सरकार; पराली प्रबंधन के लिए लिया निर्णय

    By Anand MishraEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Sat, 21 Oct 2023 04:29 PM (IST)

    पराली प्रबंधन के लिए राज्य सरकार ने प्रोत्साहन और सख्ती दोनों पर एक साथ काम करना शुरू किया है। किसानों को जागरूक कर उन्हें पराली से खाद बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही पराली से होने वाली पर्यावरण क्षति की भरपाई के लिए आर्थिक दंड का प्रावधान किया है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बायो डिकम्पोजर की बोतल का वितरण किसानों के बीच मुफ्त किया जा रहा है।

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    पराली प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन और सख्ती दोनों मोर्चों पर शुरू हुआ काम।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पराली प्रबंधन के लिए राज्य सरकार ने प्रोत्साहन और सख्ती दोनों मोर्चों पर एक साथ काम करना शुरू किया है। किसानों को जागरूक कर उन्हें पराली से खाद बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही पराली से होने वाली पर्यावरण क्षति की भरपाई के लिए कड़े आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है। 

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    फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 17 लाख बायो डिकम्पोजर की बोतल का वितरण किसानों के बीच मुफ्त किया जा रहा है। गत वर्ष बायो डिकम्पोजर के प्रयोग से उत्साहित कृषि विभाग ने यह निर्णय लिया है। गत वर्ष 13.22 लाख बायो डिकम्पोजर का वितरण किसानों के बीच किया गया था।

    बायो डिकम्पोजर का छिड़काव करने का सुझाव

    बायो डिकम्पोजर का प्रयोग कर किसान अपने खेत में ही फसल अवशेष को सड़ा सकते हैं, इससे खेत की जैविक क्षमता बढ़ती। एक बोतल बायो डिकम्पोजर एक एकड़ क्षेत्रफल के लिए पर्याप्त होती है। किसानों को खेत में गड्ढा कर उसमें पराली एकत्र कर उस पर बायो डिकम्पोजर का छिड़काव करने का सुझाव दिया गया है। 

    खेतों में फसल अवशेष को जल्द सड़ाने के लिए पानी भरकर यूरिया के छिड़काव की नसीहत भी किसानों को दी गई है। इससे फसल अवशेष शीघ्र ही खाद के रूप में परिवर्तित हो जाता है। 

    क्षतिपूर्ति के आदेश जारी

    इसके अलावा गत वर्ष की तरह पराली दो-खाद लो, कार्यक्रम भी गत वर्ष की तरह संचालित किया जा रहा है। वहीं, राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के अनुसार फसल अवशेष जलाए जाने को दंडनीय अपराध की श्रेणी में मानते हुए क्षतिपूर्ति के आदेश सभी जिलों को जारी किए गए हैं। 

    दो एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500 रुपये, दो एक पांच एकड़ के लिए पांच हजार और पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए 15 हजार रुपये तक पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूलने के निर्देश सभी जिलाधिकारियों को दिए गए हैं।

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