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    UP: लखनऊ नगर निगम 330 करोड़ खर्च करने में नाकाम, शासन ने रोक दी ग्रांट

    By Ajay Srivastava Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Thu, 18 Dec 2025 12:20 PM (IST)

    Nagar Nigam Lucknow: कामों की सूची तय न होने के कारण नगर निगम केवल दो करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया। इस नाकामी के कारण चलते शासन ने चालू वित्तीय वर्ष की ...और पढ़ें

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    गोमतीनगर में विपुल खंड छह की सड़क ढाई वर्ष में भी नहीं बनी

    अजय श्रीवास्तव, जागरण, लखनऊ : नगर निगम लखनऊ को पिछले वर्ष शासन ने सड़कों, नालों व कूड़ा प्रबंधन के साथ वायु प्रदूषण रोकने के लिए 332 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था। इसके बाद कामों की सूची तय न होने के कारण नगर निगम केवल दो करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया। इस नाकामी के कारण चलते शासन ने चालू वित्तीय वर्ष की ग्रांट रोक दी है, जो लगभग 330 करोड़ रुपये की होनी थी।

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    प्रमुख सचिव नगर विकास पी गुरुप्रसाद की समीक्षा बैठक में यह हकीकत सामने आई। बैठक में नगर विकास के अधिकारियों ने बताया कि लखनऊ को अन्य नगर निगमों की तरह नई ग्रांट जारी नहीं की जा सकी है, क्योंकि पिछले वर्ष के बजट खर्च की रिपोर्ट (यूटिलाइजेशन सार्टिफिकेट) नहीं मिल पाई है।

    प्रमुख सचिव इस स्थिति से नाराज दिखे और कहा कि नगर निगम ने 2024-25 के विकास बजट का सही उपयोग नहीं किया है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले की जल्द समीक्षा की जाएगी। बैठक में नगर निगम के अधिकारियों ने खुलकर जवाब नहीं दिया, लेकिन दबी जुबान से यह बात सामने आई कि कामों की सूची फाइनल न होने के कारण कार्य प्रारंभ नहीं हो पाए थे। वर्तमान में ये सारे काम टेंडर प्रक्रिया में हैं।

    विकास कार्यों की सूची पर महापौर की मुहर लगनी थी, लेकिन विधायकों और पार्षदों की नाराजगी के चलते इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। पिछले वर्ष महापौर और कुछ पार्षदों व विधायकों के बीच तनातनी का असर इस सूची पर पड़ा था।

    गौरतलब है कि पिछले वित्तीय वर्ष में 15वें वित्त आयोग मद से नगर निगम को 250 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था। यह बजट भी पिछले वर्ष में ही खर्च होना था और इसकी सूचना नगर विकास विभाग को भेजी जानी थी। यदि समय पर काम पूरा कर लिया गया होता और खर्च की सूचना शासन को भेज दी गई होती, तो अवस्थापना निधि और 15वें वित्त आयोग के 330 करोड़ रुपये या उससे अधिक की ग्रांट मिलने से शहर में और विकास हो सकता था।

    अब सवाल यह है कि पुराने बजट से कब टेंडर होगा और काम कब शुरू होकर खत्म होगा। यदि समय पर खर्च का ब्योरा शासन को नहीं पहुंचा, तो चालू वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद शहर के विकास के लिए मिलने वाला बजट फंस सकता है। इस समय केवल चार महीने से कम का समय बचा है। लखनऊ में एक तरफ लोग खराब सड़क ठीक कराने की शिकायत कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विकास कार्यों का बजट खर्च नहीं हो पा रहा है। गोमतीनगर में विपुल खंड छह की सड़क को ढाई वर्ष पहले नाले के लिए खोदा गया, लेकिन अब तक नहीं बनाया गया l

    बजट से इन विकास कार्यों की यह थी योजना

    • अवस्थापना निधि के तहत 82 करोड़ रुपये से सड़कों और नालों का निर्माण होना था, लेकिन पिछले वर्ष मिली राशि में से केवल 2 करोड़ रुपये के बिल ही लेखा विभाग को मिल पाए हैं।
    • 15वें वित्त आयोग का बजट 250 करोड़ रुपये था, जिसमें ठोस कूड़ा प्रबंधन पर 172 करोड़ रुपये खर्च होने थे।
    • वायु प्रदूषण रोकने से जुड़े कार्यों पर 78 करोड़ रुपये खर्च होना था, लेकिन अभी तक ये कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं या यदि शुरू हुए हैं तो पूरे नहीं हुए हैं। लेखा विभाग में अभी तक कोई बिल नहीं पहुंचा है।

    शासन को खर्च की रिपोर्ट भेज दी जाएगी

    नगर आयुक्त लखनऊ गौरव कुमार ने बताया कि सितंबर में ही विकास कार्यों की सूची फाइनल हो पाई थी और उसके बाद से सभी काम के टेंडर करा दिए गए थे। जल्द ही सभी कामों को पूरा कराकर भुगतान करा दिया जाएगा और शासन को खर्च की रिपोर्ट भेज दी जाएगी।