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    UP: डेढ़ हजार से अधिक फर्जी मार्कशीट व डिग्री बेचने वाला पीएचडी धारक साथियों सहित गिरफ्तार

    By Ayushman Pandey Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Sun, 21 Dec 2025 06:58 PM (IST)

    UP Crime: पुलिस के अनुसार गिरोह से जुड़े दस से अधिक अन्य ठगों की पहचान हो चुकी है, जो अलग-अलग प्रदेशों में सक्रिय हैं। उनकी तलाश में टीमें दबिश दे रही ...और पढ़ें

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    सरगना अयोध्या का सत्येंद्र द्विवेदी (बीच में)

    जागरण संवाददाता, लखनऊ : क्राइम ब्रांच के साथ गोमतीनगर पुलिस की टीम ने जाली मार्कशीट और शैक्षणिक दस्तावेज बनाने वाले बड़े गिरोह को पकड़ा है। गिरोह का सरगना पीएचडी ड्रिगी धारक है। गिरोह के कब्जे से 25 विश्वविद्यालयों की 923 फर्जी मार्कशीट बरामद की गई हैं।

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    आरोपित एक मार्कशीट के डेढ़ लाख रुपये तक वसूलते थे और चार वर्षों से देशभर में जाली दस्तावेज सप्लाई कर रहे थे। पुलिस के अनुसार गिरोह से जुड़े दस से अधिक अन्य ठगों की पहचान हो चुकी है, जो अलग-अलग प्रदेशों में सक्रिय हैं। उनकी तलाश में टीमें दबिश दे रही हैं।
    पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) पूर्वी शशांक सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपितों में गिरोह का सरगना अयोध्या के पूरा कलंदर थाना क्षेत्र के नेपुरा मखदूमपुर में पलिया गोबा गांव का सत्येंद्र द्विवेदी शामिल है। जो पीएचडी डिग्री धारक है। उसके साथ उन्नाव के बीघापुर थाना क्षेत्र के कला घाटमपुर गांव के अखिलेश कुमार और लखीमपुर खीरी के ईशानगर थाना क्षेत्र के लाखून समैसा गांव के सौरभ शर्मा को शनिवार रात दयाल पैराडाइज चौराहे के पास से गिरफ्तार किया गया है।

    पूछताछ में सामने आया कि यह लोग देश के बड़े विश्वविद्यालयों के फर्जी अंकपत्र व डिग्री तैयार करते थे। आरोपित विकासखंड क्षेत्र में किराए का कमरा लेकर जाली मार्कशीट तैयार करते थे। इनके कमरे से विभिन्न विश्वविद्यालयों की कूटरचित मार्कशीट व डिग्री तैयार करने वाला पूरा सेटअप बरामद हुआ। इन लोगों ने गोमतीनगर में एक सेंटर खोल रखा था, जहां पर छात्रों को आनलाइन कंप्यूटर कोर्स करवाते थे।

    गिरोह देश के बड़े विश्वविद्यालयों और बोर्डों की मार्कशीट, प्रमाणपत्र और डिग्री तैयार करता था। इसके लिए कंप्यूटर, प्रिंटर और खास किस्म के कागज का इस्तेमाल किया जाता था, ताकि दस्तावेज असली जैसे दिखें। आरोपितों के पास से 923 फर्जी मार्कशीट के अलावा 65 खाली मार्कशीट पेपर, छह लैपटाप, टाटा हैरियर कार और अन्य उपकरण मिले हैं। पूछताछ में यह भी सामने आया है कि आरोपी जरूरतमंद युवाओं को सरकारी नौकरी, निजी कंपनियों और विदेश में काम दिलाने का झांसा देकर जाली दस्तावेज उपलब्ध कराते थे। एक मार्कशीट के लिए डेढ़ लाख रुपये तक वसूले जाते थे।

    20 हजार से चार लाख रुपये में बेचते थे डिग्री

    सहायक पुलिस आयुक्त(एसीपी) गोमतीनगर ब्रज नारायण सिंह ने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्त छात्र-छात्राओं को बिना पढ़ाई बीटेक, बीसीए, एमसीए, एमएससी, बीए जैसी डिग्रियां दिलाने का लालच देते थे। कोर्स के हिसाब से 20 हजार से लेकर चार लाख रुपये तक वसूलते थे।

    डेढ़ हजार से अधिक मार्कशीट बेची

    इंस्पेक्टर गोमतीनगर ब्रजेश चंद्र तिवारी ने बताया कि इन फर्जी डिग्रियों के सहारे कई लोग निजी क्षेत्र में नौकरी भी हासिल कर चुके हैं। जांच में सामने आया कि आरोपितों ने अब तक डेढ़ हजार लोगों को डिग्री बेची है। गिरोह में एक दर्जन से अधिक लोग शामिल है। गिरफ्तार तीन आरोपितों के अलावा दस से ज्यादा आरोपितों को चिन्हित किया गया है। जिनकी तलाश में पुलिस की तीन टीमें दबिश दे रही है। जल्द ही इन आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

    25 से अधिक विश्वविद्यालयों के नाम पर फर्जीवाड़ा

    आरोपित स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय (मेरठ), नार्थ ईस्ट क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी (नागालैंड), महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय (उत्तराखंड), कलिंगा विश्वविद्यालय (छत्तीसगढ़), जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ (उदयपुर), साबरमती विश्वविद्यालय (गुजरात) सहित करीब 25 विश्वविद्यालयों के नाम पर फर्जी मार्कशीट/डिग्री तैयार कर रहे थे।