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    UP: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव मनोज सिंह बने स्टेट ट्रांसफार्मेशन कमीशन के सीईओ

    By Hemant Kumar Srivastava Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Sat, 15 Nov 2025 06:33 PM (IST)

    UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में इस कमीशन का गठन अक्टूबर 2022 में किया गया था। मनोज कुमार सिंह इस कमीशन के पहले सीईओ होंगे। इससे पहले कमीशन में किसी को इस पद पर नामित नहीं किया गया था।

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    सेवानिवृत आईएएस अफसर मनोज कुमार सिंह 

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: प्रदेश के मुख्य सचिव रहे सेवानिवृत आईएएस अफसर मनोज कुमार सिंह को स्टेट ट्रांसफार्मेशन कमीशन का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नामित किया गया है। कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष तक इनका कार्यकाल होगा।

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    मनोज कुमार सिंह के मुख्य सचिव रहते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने इनका कार्यकाल बढ़ाने का प्रयास भी किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। स्टेट ट्रांसफार्मेशन कमीशन के अध्यक्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। वित्त, कृषि, समाज कल्याण, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, चिकित्सा स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास, जल शक्ति, नगर विकास तथा नियोजन विभाग के मंत्री/राज्य मंत्री इसके पदेन सदस्य हैं।

    मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, औद्योगिक एवं अवस्थापना आयुक्त, समाज कल्याण विभाग के आयुक्त/अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव के साथ ही वित्त, कृषि. नगर विकास, ग्राम्य विकास, चिकित्सा स्वास्थ्य, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, सिंचाई एवं जल संसाधन तथा नियोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव इसके शासकीय पदेन सदस्य हैं। इसके अलावा गैर सरकारी सदस्यों में सामाजिक क्षेत्र के विषय विशेषज्ञ, कृषि एवं संवर्गीय सेवाओं से संबंधित विषय विशेषज्ञ, वित्त क्षेत्र के विषय विशेषज्ञ तथा औद्योगिक विकास/निवेश/प्रौद्योगिकी/ऊर्जा क्षेत्र के विषय विशेषज्ञ को गैर सरकारी सदस्य बनाया गया है।

    गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में इस कमीशन का गठन अक्टूबर 2022 में किया गया था। मनोज कुमार सिंह इस कमीशन के पहले सीईओ होंगे। इससे पहले कमीशन में किसी को इस पद पर नामित नहीं किया गया था।

    स्टेट ट्रांसफार्मेशन कमीशन के मुख्य कार्य
    कमीशन के मुख्य कार्यों में राज्य के विभिन्न प्रकार के संसाधनो (भौतिक, वित्तीय एवं जनशक्ति) का अनुमान लगाना और राज्य के विकास में इनके सर्वोत्तम उपयोग की नीति तैयार करते हुए सुझाव देना। राष्ट्रीय एजेंडा के उददेश्यों, प्राथमिकताओं के साथ ही राज्य की आवश्यकताओं, संसाधनों व क्षमता को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रवार और कार्यक्रमवार अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन उपायों की संरचना के साथ ही क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए नीतियों एवं कार्यक्रमों पर सुझाव देना।

    जनमानस के जीवन स्तर में सुधार के लिए तंत्र विकसित करने तथा राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में अवरोध उत्पन्न करने वाले कारकों को चिन्हित करने तथा विकास एजेंडा पर सफल कार्यान्वयन का समाधान ढूंढना।आर्थिक सुधारों के वातावरण एवं परिप्रेक्ष्य में यथासम्भव पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल के माध्यम से उपलब्ध वित्तीय स्त्रोतों/संसाधनों को अनुकूल उपयोग के लिए सुझाव देना तथा विकास कार्यों के प्रतिफल का नियमित रूप से मूल्यांकन करते हुए सुझाव देना तथा अन्य कार्य शामिल हैं।