UP में पीएमएचएस के एमबीबीएस डॉक्टरों को दिया जाएगा अल्ट्रासाउंड जांच का प्रशिक्षण
Training Of PHMS in UP: आवेदनकर्ता की पांच वर्षों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियां उत्तम या उससे ऊपर होना जरूरी होंगी। प्रत्येक चिकित्सक को तैनाती के लिए तीन विकल्प देने होंगे। प्रशिक्षण के बाद डाक्टर को कार्यमुक्त और तबादला शासन स्तर से ही किया जाएगा।

विशेष अल्ट्रासाउंड जांच का प्रशिक्षण (सांकेतिक तस्वीर)
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग (पीएमएचएस) के एमबीबीएस डॉक्टरों को छह माह का विशेष अल्ट्रासाउंड जांच का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन डाक्टरों की तैनाती आकांक्षी जिलों बहराइच, चंदौली, श्रावस्ती, बलरामपुर, चित्रकूट, सोनभद्र के अलावा ललितपुर, जालौन, बांदा, औरेया की प्रथम संदर्भन इकाईयों (एफआरयू) में किया जाएगा। जिससे वहां आने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा मिल सके। 30 सीटों पर प्रवेश के लिए 18 नवंबर तक आवेदन मांगे गए हैं।
महानिदेशक प्रशिक्षण चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. पवन कुमार अरुण के अनुसार फंडामेंटल इन एब्डोबिनो पेल्विक अल्ट्रासोनोग्राफी के पांचवे पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिए वही चिकित्सक आवेदन कर सकेंगे, जिन्होंने 1 जनवरी 2026 तक सरकारी सेवा में पांच वर्ष पूरे कर लिए हों और आयु 50 वर्ष से ज्यादा न हो। आवेदनकर्ता की पांच वर्षों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियां उत्तम या उससे ऊपर होना जरूरी होंगी। प्रत्येक चिकित्सक को तैनाती के लिए तीन विकल्प देने होंगे। प्रशिक्षण के बाद डाक्टर को कार्यमुक्त और तबादला शासन स्तर से ही किया जाएगा।
डॉ. पवन के अनुसार 36 एफआरयू में से 33 पर अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध हैं। तीन में जल्द ही मशीन स्थापित की जाएगी। इन सभी पर अल्ट्रासाउंड जांच के लिए प्रशिक्षित डाक्टर की तैनाती की जानी है। प्रशिक्षण के लिए केजीएमयू, बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर, डा़ आरएमएल इंस्टीट्यूट, राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान ग्रेटर नोएडा, एमएलएन मेडिकल कालेज प्रयागराज में चार-चार, जीएसवी मेडिकल कालेज कानपुर, एसएन मेडिकल कालेज आगरा, एलएलआरएम मेडिकल कालेज मेरठ में तीन-तीन, एमएलबी मेडिकल कालेज में एक सीट है।
अल्ट्रासाउंड जांच का प्रशिक्षण लेने के आमतौर पर एक चिकित्सा पृष्ठभूमि की आवश्यकता होती है और फिर एक मान्यता प्राप्त संस्थान से संबंधित पाठ्यक्रम पूरा करना होता है। जिसमें सिद्धांत और व्यावहारिक अभ्यास दोनों शामिल होते हैं। यह प्रशिक्षण एक विशिष्ट क्षेत्र जैसे कि प्रसूति-स्त्री रोग, या पेट की जांच के लिए हो सकता है और इसमें सिमुलेशन और वास्तविक रोगी अनुभव दोनों शामिल हो सकते हैं।
रेडियोलॉजी, स्त्री रोग या अन्य संबंधित क्षेत्रों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाने के लिए मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज से एक विशिष्ट पाठ्यक्रम पूरा करना होगा। आमतौर पर, यह 300 घंटे का एक कोर्स होता है जिसे छह महीने में पूरा किया जाता है। पाठ्यक्रम में सिमुलेशन और वास्तविक रोगी के साथ व्यावहारिक अभ्यास शामिल होता है, ताकि आप विभिन्न नैदानिक परिदृश्यों का अनुभव कर सकें।

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