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    UP: केजीबीवी कक्षा 12 तक उच्चीकृत, पढ़ाई से आगे जिंदगी की तैयारी में जुटी बालिकाएं

    By Vivek Rao Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Sun, 14 Dec 2025 06:33 PM (IST)

    UP News: केजीबीवी में अब पढ़ाई का मतलब केवल पाठ्यक्रम पूरा करना नहीं है। आइआइटी गांधीनगर, गुजरात के सहयोग से शुरू किए गए क्यूरियासिटी प्रोग्राम के जरि ...और पढ़ें

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    कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: प्रदेश के शैक्षिक रूप से पिछड़े विकासखंडों में संचालित 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) आज सिर्फ पढ़ाई के केंद्र नहीं रहे, बल्कि ये उन बालिकाओं के सपनों की प्रयोगशाला बन चुके हैं, जिन्हें कभी स्कूल तक पहुंचना भी चुनौती लगता था। सरकार ने सभी केजीबीवी को कक्षा 12 तक उच्चीकृत कर दिया है, जिससे बालिकाओं की पढ़ाई बीच में छूटने की आशंका काफी हद तक खत्म हुई है।

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    केजीबीवी में अब पढ़ाई का मतलब केवल पाठ्यक्रम पूरा करना नहीं है। आइआइटी गांधीनगर, गुजरात के सहयोग से शुरू किए गए क्यूरियासिटी प्रोग्राम के जरिये बालिकाओं में सवाल पूछने, तर्क करने और वैज्ञानिक सोच विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। सभी विद्यालयों में स्मार्ट क्लास और आइसीटी लैब की स्थापना से डिजिटल शिक्षा को जमीनी स्तर तक पहुंचाया गया है।

    गणित और विज्ञान जैसे विषय, जिनसे अक्सर छात्राएं दूरी बना लेती थीं, अब खान एकेडमी के आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से सरल और रुचिकर तरीके से पढ़ाए जा रहे हैं। खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए एक केजीबीवी-एक खेल योजना लागू की गई है, ताकि पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक विकास भी सुनिश्चित हो सके। बालिकाओं को भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में ‘पंख पोर्टल’ के जरिये करियर मार्गदर्शन दिया जा रहा है।

    बालिका शिक्षा के वरिष्ठ विशेषज्ञ मुकेश सिंह का कहना है कि आत्मरक्षा प्रशिक्षण, गाइड गतिविधियां, मीना मंच, जीवन कौशल शिक्षा और एक्सपोजर विजिट के माध्यम से उन्हें आत्मविश्वास, नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता से लैस किया जा रहा है। प्रेरणा पोर्टल के जरिये न केवल छात्राओं बल्कि स्टाफ की भी सतत निगरानी और मार्गदर्शन किया जा रहा है। केजीबीवी माडल ने यह साबित किया है कि अगर सही संसाधन और माहौल मिले, तो पिछड़े इलाकों की बेटियां भी नेतृत्व की भूमिका निभा सकती हैं।