मानसून सत्र में पहले दिन के हंगामा पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना बोले- समाजवादी पार्टी ने बेवजह नहीं चलने दी विधानसभा की कार्यवाही
UP VidhanMandal Monsoon Session 2025 रविवार को नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय दलीय नेताओं की बैठक में थे। उन्होंने अपने विचार पार्टी के एजेंडे के हिसाब से रखा। अन्य विषयों पर भी विचार व्यक्त किए। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के भोज में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष भी थे।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा है कि सोमवार को विपक्ष ने बेवजह विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी। ऐसा मुद्दा उठाकर सदन की कार्यवाही में व्यवधान डाला जिसका कोई औचित्य नहीं था। सपा के सदस्य नहीं चाहते हैं कि विकास का कोई कार्य हो, यह उनके स्वभाव में है। हमने सदन का कार्यवाही चलाने की कोशिश की लेकिन सपा के सदस्य लगातार वेल में जमे रहे।
सोमवार को विपक्ष के हंगामें के चलते विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई सपा सदस्य ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया, जबकि अध्यक्ष पीठ से व्यवस्था दी गई। इसके बाद एक मुद्दा ऐसा उठाया जिसका कोई औचित्य ही नहीं था। इस मुद्दे की जांच कराने के लिए अड़ गए।
उन्होंने कहा कि रविवार को नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय दलीय नेताओं की बैठक में थे। उन्होंने अपने विचार पार्टी के एजेंडे के हिसाब से रखा। अन्य विषयों पर भी विचार व्यक्त किए। विधानसभा अध्यक्ष के भोज में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष भी थे। इसमें भी नेता प्रतिपक्ष ने गोरखपुर में कोई घटना हुई थी उसका जिक्र नहीं किया था। सोमवार को सदन में विपक्ष द्वारा ऐसा विषय उठाया गया जो कोई मुद्दा ही नहीं था, हालांकि मुख्यमंत्री ने उनकी बातों का समुचित जवाब दिया। इसके बाद कोई विषय ही नहीं बचता था जिसकी कोई जांच कराई जाए।
निधन की सूचना पर भी वेल में बने रहे सपा के सदस्य
मंत्री ने कहा कि अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू किया। एक प्रश्न का जवाब उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने दिया। इसके बाद भी सपा के सदस्य वेल में बैठे रहे। पहली बार ऐसा हुआ कि जब निधन की सूचनाएं दी जा रही थीं उस समय भी सपा सदस्य वेल में बने रहे और खड़े हो गए। निधन की सूचना के समय सामान्यत: सदस्य अपनी सीट पर चले जाते हैं और शोक व्यक्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमने कार्य रोको प्रस्ताव के समय भी इस बात की कोशिश की थी कि सदन चले। नोटिस स्वीकार हुए. इसके बाद भी उस पर चर्चा नहीं हुई। बाढ़ की आशंका व्यक्त होने के साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्रियों को जिम्मेदारी दे दी और सभी लोग अपने क्षेत्र में गए। जहां जैसी आवश्यकता थी वैसी व्यवस्था की गई। खेती के नुकसान का आंकलन कराया गया। बिना वजह का मुद्दा उठाकर सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालना अच्छा नहीं है। इसकी निंदा होनी चाहिए।
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