UP News: 25 हजार टन मक्का की भी नहीं हाे पाई खरीद, 46 दिन चले अभियान… मानकों के फेर में उलझा रहा काम
लखनऊ में खाद्य एवं रसद विभाग मक्का खरीद के लक्ष्य से पीछे रह गया। 22 जिलों में 135 क्रय केंद्रों के बावजूद विभाग 25 हजार टन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 18 हजार टन मक्का ही खरीद पाया। मानकों के चलते किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों से दूरी बनाए रखी जिससे खरीद प्रभावित हुई। नमी और गुणवत्ता के मानकों के कारण कई किसानों को अपनी उपज बेचने में परेशानी हुई।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। 22 जिले, 135 क्रय केंद्र, 46 दिन का समय और 2225 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)। इस सबके बाद भी खाद्य एवं रसद विभाग, मक्का की खरीद में लक्ष्य से पिछड़ गया। खरीद के लिए तय किए मानक ही इस अभियान में सबसे बड़े खलनायक बन गए।
मानकों के अनुसार, गीली या 14 प्रतिशत से अधिक नमी होने पर मक्का खरीद नहीं हो सकती थी, ऊपर से वर्षा के मौसम में किसानों के लिए उपज को सुखाना भी आसान नहीं था।
ऐसे में बाजार में कम कीमत की स्थितियों में भी क्रय केंद्रों पर किसानों के पहुंचने की रफ्तार नहीं बढ़ सकती। पूरी अवधि में खाद्य एवं रसद विभाग 25 हजार टन के लक्ष्य के मुकाबले 18 हजार टन से कुछ अधिक ही मक्का की खरीद कर पाया।
सरकार ने इस बार रबी सीजन की मक्का की 22 जिलों में खरीद के लिए 15 जून से 31 जुलाई तक का समय तय किया था। अलीगढ़, एटा, कासगंज, फिरोजाबाद, हाथरस, मैनपुरी, बदायूं, बुलंदशहर, इटावा, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद, बहराइच, बलिया, अयोध्या, मीरजापुर, गोंडा, संभल व रामपुर में 135 केंद्रों का संचालन किया गया।
परंतु शुरुआत से ही खरीद का यह प्रयास गति नहीं पकड़ पाया। पहलेे आठ दिनों तक क्रय केंद्रों का खाता तक नहीं खुला था। जबकि शुरुआत में बाजार में मक्का का रेट 1500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थी। इसके बाद बाजार में कीमत बढ़ी और रेट 1900 से 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा है।
वह भी सरकार द्वारा दिए जा रहे एमएसपी से कम था, परंतु खरीद के मानकों के चलते ज्यादातर किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों पर विक्रय से दूरी बनाए रखी। बहुत से केंद्रों से किसानों को मानक पूरे न होने के कारण लौटाया भी गया।
इसका परिणाम ये कि मक्का बेचने के लिए पंजीकरण तो 5,832 किसानों ने कराया, परंतु अंतिम दिन तक केवल 3085 ने ही क्रय केंद्रों पर अपनी उपज का विक्रय किया और गुरुवार तक 18,818 टन मक्का की खरीद हो सकी।
इसलिए दूर हुए किसान
क्रय केंद्रों पर मानकों के अनुसार, मक्का का परिपक्व व सूखा दाना ही लिया गया। नमी की मात्रा 14 प्रतिशत से अधिक होने, दानों का आकार, रंग, आकृति अलग होने, उपज में अन्य खाद्यान्न की मात्रा दो प्रतिशत से अधिक होने, क्षतिग्रस्त अनाज की मात्रा 1.5 प्रतिशत से अधिक होने पर खरीद नहीं की जा रही थी। अन्य मानकों पर भी उपज को परखा जा रहा था, जबकि बाजार में मानकों की इतनी बाधा नहीं थी, ऐसे किसानों ने बाजार की ओर ही ज्यादा रुख किया।
पूरे केंद्र भी नहीं खोल पाया विभाग
सरकारी खरीद के लिए कुल 155 केंद्र खोले जाने थे, परंतु शुरुआती आठ दिन में केवल 120 केंद्र ही शुरू हुए थे, इसके बाद 23 दिन में इनकी संख्या 133 पहुंची थी जो बाद में बढ़कर 135 हो गई। इससे भी खरीद की मात्रा पर असर पड़ा।
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