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    उत्तर प्रदेश में साक्षरता की दौड़ में कुछ जिले चमके, कुछ पिछड़े; 2027 तक लक्ष्य हासिल करने पर जोर

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 07:20 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में साक्षरता की स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन कुछ जिले अभी भी पीछे हैं। नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत, सरकार 2027 तक सभी को साक्षर बनाने के लिए प्रयासरत है। पिछड़े जिलों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में 15 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए चल रहा केंद्र प्रायोजित ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ पूरे प्रदेश में एक अप्रैल 2022 से चल रहा है, जो 31 मार्च 2027 तक जारी रहेगा। इसमें असाक्षरों को 200 घंटे के माड्यूल के जरिये पढ़ना-लिखना सिखाया जा रहा है।

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    सभी गतिविधियां आनलाइन और आफलाइन चल रही हैं, जिसमें प्रचार-प्रसार से लेकर वालंटियर प्रशिक्षण और साल में दो बार साक्षरता परीक्षा भी शामिल है।योजना का क्रियान्वयन स्कूल स्तर पर किया जा रहा है, जहां रैली, नुक्कड़ नाटक, सर्वे, वालंटियर प्रशिक्षण और कक्षाओं के संचालन जैसे कार्य नियमित रूप से किए जा रहे हैं। इसमें कुछ जिलों का प्रदर्शन बेहतर है तो कुछ जिले पिछड़े हुए हैं।

    बेसिक शिक्षा विभाग आंकड़ों के मुताबिक कई जिलों में योजना की रफ्तार बेहद धीमी है। सबसे कम प्रगति संभल में दर्ज की गई है, जहां 10,300 के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 80 असाक्षर चिन्हित किए गए, यानी 0.78 प्रतिशत प्रगति है। प्रदेश में जिन जिलों में प्रचार-प्रसार, सर्वे और वालंटियर प्रशिक्षण मजबूत है, वहां प्रगति तेजी से देखी जा रही है।

    बागपत, हाथरस और कुशीनगर जैसे जिलों में समुदाय की भागीदारी और स्कूल इकाइयों की सक्रियता योजना को आगे बढ़ा रही है। वहीं, संभल, प्रयागराज, रायबरेली और जौनपुर जैसे जिलों में कम जागरूकता, सर्वे की धीमी रफ्तार और वालंटियर सक्रियता की कमी चुनौती बनी हुई है।

    अभी बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह की समीक्षा बैठक के बाद धीमे चल रहे जिलों में विशेष अभियान चलाकर प्रगति तेज कराने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि 2027 तक साक्षरता लक्ष्य आसानी से हासिल किए जा सकें।

    साक्षरता रफ्तार सबसे तेज ये जिले

    कुछ जिलों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। बागपत सबसे आगे है, जहां 79.36 प्रतिशत प्रगति दर्ज हुई। यहां लक्ष्य 6,900 के मुकाबले 5,476 असाक्षरों का चिन्हीकरण किया गया। अन्य जिलों में हाथरस में 53.14 प्रतिशत (4,251/8,000), कुशीनगर में 49.75 प्रतिशत (8,009/16,100), महोबा में 43.50 प्रतिशत (2,610/6,000), अलीगढ़ में 43.20 प्रतिशत (5,962/13,800), देवरिया में 42.07 प्रतिशत (7,573/18,000), भदोही में 41.99 प्रतिशत (3,359/8,000), वाराणसी में 41.04 प्रतिशत (3,776/9,200), हमीरपुर में 38 प्रतिशत (3,065/8,000), मैनपुरी में 28 प्रतिशत (2,992/10,400) है।

    10 जिले सबसे पीछे

    जिला प्रतिशत प्रगति-लक्ष्य
    प्रयागराज 1.55% 375-24,200
    रायबरेली 2.59% 537-20,700
    जौनपुर 3.17% 761-24,000
    अमरोहा 3.21% 257-8,000
    जालौन 3.52% 352-10,000
    मऊ 3.90% 449-11,500
    गाजीपुर 4.30% 843-19,600
    मुजफ्फरनगर 4.43% 509-11,500
    गाजियाबाद 4.49% 256-5,700