यूपी में गन्ने की कीमतों में हुआ बदलाव, योगी सरकार ने कब-कब और कितनी बढ़ाई कीमत?
योगी सरकार ने गन्ना किसानों को बड़ी राहत देते हुए गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य में 30 रुपये की वृद्धि की है। इस फैसले से किसानों को अगैती गन्ने के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य गन्ने के लिए 390 रुपये प्रति क्विंटल मिलेंगे। सरकार के इस कदम से 46 लाख गन्ना किसानों को फायदा होगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। यह निर्णय आगामी चुनावों में भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकता है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। योगी सरकार ने मंगलवार को गन्ना किसानों को बड़ा तोहफा दिया। सरकार ने पेराई सत्र 2025-26 के लिए गन्ना के राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) में 30 रुपये की रिकार्ड वृद्धि की है। जिसके बाद किसानों को अगैती गन्ना के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य गन्ना के लिए 390 रुपये प्रति क्विंटल कीमत मिलेगी।
दैनिक जागरण ने सरकार के इस फैसले की जानकारी मंगलवार के ही अंक में प्रकाशित की थी, जिस पर गन्ना मंत्री ने पत्रकार वार्ता तक मुहर लगा दी। उन्होंने बताया कि बीते आठ साल में सरकार गन्ना मूल्य में 85 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर चुकी है। सरकार के ताजा निर्णय से प्रदेश के 46 लाख गन्ना किसानों को लाभ होगा और उनको पहले के मुकाबले तीन हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद यह चौथी बार है जब गन्ना के एसएपी में बढ़ोतरी की गई है। वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गन्ना मूल्य में 10 रुपये की वृद्धि की थी। इसके बाद वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पेराई सत्र 2021-22 के लिए गन्ना का मूल्य 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया था। वृद्धि के साथ अगैती प्रजातियों के लिए 350, सामान्य प्रजाति के लिए 340 और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 335 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य तय किया गया था।
पेराई सत्र 2022-23 में उसे यथावत बनाए रखा गया था। इसके बाद वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पेराई सत्र 2023-24 में गन्ने की अगैती प्रजातियों के मूल्य में 20 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी, जिससे अगैती प्रजातियों के लिए 370 रुपये, सामान्य प्रजाति के लिए 360 रुपये और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए गन्ना मूल्य 355 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था। पेराई सत्र 2024-25 में सरकार ने गन्ना एसएपी यथावत रखा था। गन्ना किसान काफी समय से मूल्य बढ़ाने की माग कर रहे थे, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है।
गन्ना मंत्री ने लोकसभा में पत्रकार वार्ता कर सरकार के निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 से पहले प्रदेश गन्ना माफिया का सेंटर बना हुआ था। कई चीनी मिलें बंद हाे गई थीं और कुछ को बेच दिया गया था। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद पारदर्शी व्यवस्था लागू की गई है। पिछले आठ साल में 12 हजार करोड़ रुपये का निवेश इस क्षेत्र में हुआ है। चार नई मिल खोलने के साथ छह बंद चीनी मिलों को शुरू गया है और 42 मिलों की क्षमता बढ़ाई गई है।
गन्ना पर्ची की व्यवस्था आनलाइन की गई है। वर्तमान में गन्ना, चीनी और एथेनाल उत्पादन में उत्तर प्रदेश पूरे देश में पहले नंबर पर है। वर्ष 2007 से 2017 के मुकाबले वर्ष 2017 से अब तक गन्ना के क्षेत्रफल में 20 लाख हैक्टेयर की वृद्धि हुई है और अब यह 29.51 लाख हैक्टेयर हो गया है। मंत्री ने बताया कि भाजपा सरकार से पहले 10 साल में 1,47,346 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया था, जबकि योगी सरकार अब तक 2,90,225 करोड़ रुपये रुपये भुगतान करा चुकी है, जो लगभग दोगुना है।
कब कितना बढ़ा एसएपी
पेराई सत्र - मूल्य वृद्धि
2017-18 - 10 रुपये प्रति क्विंटल
2021-22 - 25 रुपये प्रति क्विंटल
2023-24 - 20 रुपये प्रति क्विंटल
2025-26 - 30 रुपये प्रति क्विंटल
महाराष्ट्र-कर्नाटक से ज्यादा हुआ मूल्य, पंजाब-हरियाण से अब भी कम
गन्ना मंत्री ने बताया कि 30 रुपये की वृद्धि के बाद उत्तर प्रदेश का गन्ना मूल्य, महाराष्ट्र और कर्नाटका से अधिक हो गया है। दोनों राज्यों में गन्ना की 355 रुपये प्रति क्विंटल कीमत मिल रही है। हालांकि गन्ना मूल्य के मामले में पंजाब और हरियाणा अब भी यूपी से आगे हैं। गन्ना की प्रति क्विंटल कीमत हरियाणा में 415 रुपये और पंजाब में 401 रुपये है। इनमें से हरियाणा ने हाल ही में मूल्य में 15 रुपये की वृद्धि की थी।
पंचायत से विधान सभा चुनावों तक हाे सकता है असर
योगी सरकार के इस फैसले को एनडीए की चुनावी रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है। प्रदेश में वर्ष 2027 के विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों के लिए राजनीतिक दल अभी से तैयारी में जु़टे हैं। भाजपा भी माहौल बनाने में जुटी है।
पार्टी पंचायत चुनावों में बड़ी जीत हासिल कर विधान सभा चुनावों के लिए बढ़त का संदेश देना चाहता है। माना जा रहा है कि गन्ना मूल्य बढ़ने से चुनावों में भाजपा और उनके सहयाेगी दलों को फायदा मिल सकता है और एनडीए इसका असर विधान सभा चुनाव तक बनाए रखने की कोशिश करेगा।

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