यूपी में सरकारी चिकित्सकों पर बड़ी कार्रवाई, ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर 15 डॉक्टर निलंबित
Brajesh Pathak | उत्तर प्रदेश में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर चिकित्सा विभाग में लापरवाही बरतने वाले 15 डॉक्टरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में चिकित्सा विभाग की लापरवाही और अनुशासनहीनता पर बड़ी कार्रवाई हुई है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर 15 डॉक्टरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।
इनमें मऊ जिले के डॉ. भैरव कुमार पांडेय को ड्यूटी के दौरान नशा करने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में रुचि न लेने और अभद्र व्यवहार जैसे गंभीर आरोपों में निलंबित किया गया है। इसके अलावा अन्य डॉक्टरों पर रोगियों की उपेक्षा, लापरवाही, अनधिकृत अनुपस्थिति और अनुशासनहीनता के आरोप लगे हैं।
प्रदेश के 15 डॉक्टरों पर हुई कार्रवाई
डॉ. भैरव को पहले ही सीएचसी रतनपुरा से हटाकर सीएचसी मझवारा भेजा गया था, लेकिन उन्होंने नया कार्यभार नहीं संभाला। अब निलंबन के साथ ही उन्हें आजमगढ़ स्थित अपर निदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
भदोही के महाराजा चेत सिंह जिला अस्पताल में तैनात फिजीशियन डॉ. प्रदीप कुमार यादव के खिलाफ प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप में दो वेतनवृद्धियां स्थायी रूप से रोकी गई हैं। स्वास्थ्य महानिदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील वर्मा पर औरैया में चिकित्साधिकारी रहते हुए वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। मामले में विभागीय कार्रवाई शुरू की जा रही है।
इन डॉक्टरों पर होगी विभागीय कार्रवाई
कुशीनगर के कप्तानगंज सीएचसी में डॉ. रितेश कुमार सिंह, कानपुर नगर केपीएम नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉ. दीप्ती गुप्ता, गोरखपुर गोला सीएचसी के डॉ. तनवीर अंसारी, मैनपुरी बरनाहल सीएचसी की डॉ. अकांक्षा पनवार और हरदोई कछौना सीएचसी की डॉ. रखशिंदा नाहिद पर विभागीय कार्रवाई होगी।
ललितपुर के जखौरा सीएचसी अधीक्षक डॉ. समीर प्रधान और बुलंदशहर सीएमओ के अधीन डॉ. पूनम सिंह से जवाब-तलब किया गया है। बांदा मेडिकल कॉलेज के दो सर्जन डॉ. अनूप कुमार सिंह और डॉ. सोमेश त्रिपाठी पर भी कार्रवाई की तैयारी है।
कुशीनगर मेडिकल कॉलेज की डॉ. रूचिका सिंह और शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. अभय कुमार सिन्हा व वर्तमान प्रधानाचार्य डॉ. राजेश कुमार पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। इन पर सेवा प्रदाता फर्म से अनुचित लाभ देने के आरोप हैं। पूरी कार्रवाई राज्य में चिकित्सा सेवाओं में अनुशासन बनाए रखने और मरीजों की उपेक्षा रोकने के लिए की गई है।

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