यूपी में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए निकायों से मांगा अनुमानित खर्च का ब्यौरा, राज्य स्तरीय समिति ने दिए निर्देश
उत्तर प्रदेश में, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए, राज्य स्तरीय समिति ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए निकायों से अनुमानित खर्च का ब्यौरा मांगा है। नगर विकास विभाग सड़कों, स्कूलों और अस्पतालों से कुत्तों को हटाने की तैयारी कर रहा है। प्रदेश में लगभग 20 लाख आवारा कुत्ते हैं, जिनकी नसबंदी, टीकाकरण और भोजन की व्यवस्था की जा रही है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आवारा कुत्तों को सड़क, स्कूलों, अस्पतालों के परिसर से हटाने में आने वाले अनुमानित खर्च का ब्यौरा निकायों से मांगा गया है। इसमें आपरेशन थिएटर व्हीकल से लेकर अन्य जरूरी व्यवस्थाएं शामिल करने के लिए कहा गया है।
प्रदेश में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 20 लाख है। ये संख्या भी लगभग छह साल पुरानी पशु गणना के आधार पर है। इसी गणना के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के पालन की तैयारी नगर विकास विभाग कर रहा है।
नगर निकायों के पास आवारा कुत्तों के नसबंदी, टीकाकरण और उनकी देखरेख की जिम्मेदारी है। लखनऊ को छोड़कर अन्य 16 नगर निगम में बजट की अलग से व्यवस्था नहीं की गई है। प्रदेश में 191 केंद्र ऐसे हैं, जहां आवारा कुत्तों को रखा (डाग केनल) जाता है।
इसके अलावा, 101 केंद्रों (डाग पांड) पर सामान्य आवारा कुत्तों को रखा जाता है। नसबंदी और एंटी रेबीज टीकाकरण के बाद इन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उनके ही क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया में स्वयं सेवी संस्थाओं की मदद ली जा रही है।
इसके अलावा, आवारा कुत्तों को खाना देने के लिए 810 केंद्रों की व्यवस्था की गई है। जरूरत के अनुसार केंद्रों को और बढ़ाया जाएगा। इसमें भी स्वयं सेवी संस्थाओं की मदद लेने की तैयारी है।
निदेशक नगरीय निकाय अनुज झा के अनुसार, राज्य स्तरीय समिति की बैठक में सभी निकायों से उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुपालन की जरूरत के हिसाब से अनुमानित खर्च का ब्यौरा मांगा गया है। इससे व्यवस्था को सुधारा जाएगा।

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