UP Secondary Schools : अब अधिकारी देश भर से सीखेंगे बेस्ट प्रैक्टिस, बदलेंगे माध्यमिक स्कूलों का चेहरा
UP Government Focused to Improve Secondary Education System ध्ययन के बाद अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश सरकार को सौंपनी होगी जिसके आधार पर उन बेस्ट प्रैक्टिस को यूपी के स्कूलों में लागू किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार देश के कई राज्यों में पहले ही माध्यमिक शिक्षा को नई दिशा देने वाले प्रयोग किए जा चुके हैं।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की तस्वीर बदलने के लिए राज्य सरकार ने एक अनोखी पहल की है। अब प्रदेश के 200 शिक्षा अधिकारियों की टीम देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर उनके सरकारी स्कूलों में अपनाई गई ‘बेस्ट प्रैक्टिस’ का अध्ययन करेगी। इस शैक्षणिक भ्रमण का मकसद उन नवाचारों को समझना और उन्हें यूपी के स्कूलों में लागू करना है, जिससे शिक्षा अधिक व्यावसायिक, आधुनिक और छात्र-केंद्रित बन सके।
यह पहली बार है जब माध्यमिक शिक्षा विभाग इस तरह का प्रयास कर रहा है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत शुरू हो रही इस योजना में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) से लेकर शिक्षा निदेशक स्तर तक के अधिकारी शामिल होंगे।
जुलाई से शुरू हो रहे इस दौरे में अधिकारियों को राज्यों में टीम बनाकर भेजा जाएगा। वहां वे कक्षा 9 से 12 तक की शिक्षा व्यवस्था, नवाचारों, पाठ्यचर्या, शिक्षण पद्धति और बुनियादी ढांचे की बारीकी से समीक्षा करेंगे। अध्ययन के बाद अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश सरकार को सौंपनी होगी, जिसके आधार पर उन बेस्ट प्रैक्टिस को यूपी के स्कूलों में लागू किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, देश के कई राज्यों में पहले ही माध्यमिक शिक्षा को नई दिशा देने वाले प्रयोग किए जा चुके हैं।
उदाहरण के लिए, दिल्ली के स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम चलाया जा रहा है, जिसमें ध्यान, योग और जीवन कौशल आधारित शिक्षण शामिल है। केरल में डिजिटल क्लासरूम और मुफ्त वाइ-फाइ जैसी सुविधाएं हैं, और शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है।
हरियाणा में बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है, तो तमिलनाडु में तकनीकी और वोकेशनल शिक्षा को मजबूती दी गई है। महाराष्ट्र ने डिजिटल लर्निंग और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को स्कूल शिक्षा में शामिल किया है, वहीं राजस्थान ग्रामीण क्षेत्रों में छात्राओं की गुणवत्तापरक शिक्षा पर जोर दे रहा है।
पंजाब की स्मार्ट स्कूल नीति और डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता भी देशभर में सराही जा रही है। उत्तर प्रदेश के लिए यह पहल बेहद अहम साबित हो सकती है। वर्षों से जूझ रहे सरकारी माध्यमिक स्कूलों को नवाचार, तकनीक और गुणवत्ता से जोड़ने का यह मौका है।
यदि अध्ययन और क्रियान्वयन सही तरीके से हुआ, तो यह योजना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव ला सकती है। साथ ही छात्रों को न केवल बेहतर अकादमिक माहौल मिलेगा, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए व्यावहारिक और समग्र शिक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी।
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