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    सरकारी विद्यालयों में नियमित निगरानी व काउंसलिंग पर रहेगा जोर, शिक्षा योजनाओं की धीमी रफ्तार पर अपर मुख्य सचिव सख्त

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 12:56 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए निगरानी और काउंसलिंग पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है। शिक्षा योजनाओं की धीमी प्रगति पर अपर मुख्य सचिव ने नाराजगी जताई और कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। सरकार का उद्देश्य है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता को ऊंचा उठाने के लिए नियमित निरीक्षण और पारदर्शी कार्यप्रणाली पर विशेष जोर दिया जाएगा। माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई के साथ-साथ करियर काउंसलिंग सत्र भी नियमित होंगे।

    समग्र शिक्षा, बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव (एसीएस) पार्थ सारथी सेन शर्मा ने प्रदेश के सभी बेसिक और माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग की।

    उन्होंने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी अभी से शुरू की जाए, ताकि परीक्षाएं पूर्ण शुचिता, निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ हों। निर्देश दिया कि प्रोजेक्ट अलंकार के तहत चल रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। सहयोगी अनुदान योजना के तहत अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक और संस्कृत विद्यालयों में भौतिक सुविधाओं के सुधार का कार्य समय पर पूरा हो।

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    इसके लिए उन्होंने सांसद और विधायक निधि से सहयोग लेने पर भी जोर दिया। साथ ही कहा कि विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। इसके लिए कौशल विकास मिशन और प्रतिष्ठित संस्थानों के सहयोग से कार्यक्रमों का विस्तार किया जाए, ताकि छात्र न केवल शिक्षित हों, बल्कि रोजगार योग्य कौशल भी विकसित कर सकें। चेतावनी दी कि किसी भी योजना में ढिलाई या अनियमितता पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

    लखनऊ समेत कई बीएसए को फटकार

    लखनऊ, अमरोहा और संभल जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को कई यूनिटों में खराब प्रदर्शन को लेकर फटकार पड़ी। अपर मुख्य सचिव ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राजधानी जैसे बड़े जिले का प्रदर्शन अन्य जिलों से पीछे होना अस्वीकार्य है।

    समग्र शिक्षा, प्री-प्राइमरी, मिड-डे मील, बालिका शिक्षा, अधिष्ठान, गुणवत्ता यूनिट, वित्तीय प्रबंधन, सामुदायिक सहभागिता और यू-डायस पोर्टल पर डेटा अपलोडिंग जैसे बिंदुओं की विस्तृत समीक्षा की। बैठक में सामने आया कि कई जिलों में इन योजनाओं का काम उम्मीद के मुताबिक नहीं चल रहा है।