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    UP Gharauni: यूपी में घरौनी को लेकर बदला नियम, मिलेगी कानूनी मान्यता; योगी सरकार ने कर दी ये व्यवस्था

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 08:50 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में 11 विधेयक पेश किए गए, जिनमें घरौनी को कानूनी मान्यता देने वाला विधेयक प्रमुख है। यह ग्रामीण आबादी अभिलेख व ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में सोमवार को विधान सभा में 11 विधेयक पेश किए गए। इनमें आठ वह विधेयक हैं, जिनके अध्यादेश सरकार पहले ही ला चुकी है। घरौनी को कानूनी मान्यता दिलाने संबंधी उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 पेश किया गया।

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    ग्रामीण क्षेत्र में वरासत (उत्तराधिकार), बिक्री (विक्रय) और नामांतरण जैसी प्रक्रियाओं को सुगम बनाने और मालिकाना हक को सुरक्षित करने के लिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है। इस विधेयक के तहत स्वामित्व योजना को लेकर तैयार की जा रही घरौनी को अंतिम रूप दिया जा सकेगा।

    अब घरौनी आधिकारिक दस्तावेज मानी जाएगी। वरासत, विक्रय या अन्य कारणों से घरौनी में नाम बदलने और सुधार की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इस विधेयक के तहत लिपिकीय त्रुटियों को सही करने का भी प्रविधान है, साथ ही दस्तावेज पर फोन नंबर घरों के पते भी दर्ज किए जा सकेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों के संबंध में विवादों में कमी आएगी।

    विधान सभा में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश (संशोधन) विधेयक भी रखा गया। इसमें केजीएमयू की कार्य परिषद में अनुसूचित जातियों/जनजातियों व अन्य पिछड़े वर्ग के वरिष्ठतम प्रोफेसर को जगह मिलेगी। सरकार केजीएमयू के कुलपति की सलाह से इनकी तैनाती करेगी।

    राज्य में ईज आफ डुइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए सोमवार को विधान सभा में उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रविधानों का संशोधन) विधेयक-2025 पेश किया गया। इसका अध्यादेश पहले से लागू है। अब सरकार इसे विधेयक के रूप में लेकर आई है। मामूली त्रुटियों पर आपराधिक दंड से मुक्त करके इसे और अधिक न्यायसंगत, व्यावहारिक और सुगम बनाया गया है।

    इसी प्रकार उप्र गन्ना उपकर (निरसन) विधेयक-2025 भी विधान सभा में पेश किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश गन्ना उपकर अधिनियम, 1956 को उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली द्वारा 13 दिसंबर 1960 को दिए गए अपने निर्णय में निरस्त कर दिया था। इसके बाद से ही उप्र गन्ना उपकर अधिनियम, 1956 अस्तित्व में नहीं है। पूर्व अधिनियम काे निरस्त करने के लिए सरकार यह विधेयक लेकर आई है।

    इसी प्रकार उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान (संशोधन) विधेयक 2025 भी सदन में रखा गया। यह अध्यादेश के रूप में यह कानून 19 नवंबर 2025 से प्रभावी है। अब इसे भी सरकार विधेयक के रूप में लेकर आ रही है।

    इसके तहत बैंक, बीमा, शेयर बाजार, मीडिया, प्रिंटिंग प्रेस, थिएटर, अस्पताल, क्लीनिक, तकनीकी व पेशेवर सेवा प्रदाता, डिलीवरी सेवाएं और आउटसोर्स एजेंसियां भी इसके दायरे में होंगी।

    20 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को कुछ प्रविधानों से छूट दी गई है, जबकि 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों के लिए आनलाइन पंजीकरण अनिवार्य होगा, जो कारोबार शुरू होने के छह माह के भीतर करना होगा। गलत जानकारी देने पर पंजीकरण रद कर कार्रवाई की जाएगी।

    यह विधेयक भी हुए पेश

    • उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) विधेयक-2025
    • उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) विधेयक-2025
    • उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) विधेयक-2025
    • उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (पंचम संशोधन) विधेयक-2025
    • उत्तर प्रदेश पेंशन की हकदारी तथा विधिमान्यकरण विधेयक-2025
    • उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) विधेयक-2025

    11 अधिनियमों की दी जानकारी

    विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने विधानमंडल के मानसून सत्र से शीतकालीन सत्र के बीच बने 11 विधेयक जो अधिनियम(कानून) बन गए हैं उनकी सदन को जानकारी दी। इनमें बांके बिहारी जी मंदिर न्यास विधेयक, उत्तर प्रदेश निरसन विधेयक, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (प्रक्रिया का विनियमन) (संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश मोटर यान कराधान (संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश लोक अभिलेख विधेयक, उत्तर प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (संशोधन) विधेयक, उत्तर प्रदेश राज्य विधानमंडल सदस्य तथा मंत्री सुख-सुविधा विधि (संशोधन) विधेयक व कारखाना (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक शामिल हैं।