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    UP Gharauni: उत्तर प्रदेश में घरौनी को लेकर आया नया अपडेट, घर बनाने के लिए योगी सरकार देगी पैसा, जानें नियम

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 12:30 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में ग्रामीणों को घर बनाने के लिए ऋण मिलना अब आसान होगा। राजस्व विभाग ने घरौनी को कानूनी मान्यता देने का प्रस्ताव शासन को भेजा है जिसे कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधानसभा में पेश किया जाएगा। इस कानून के बनने से ग्रामीणों को बैंक से ऋण मिल सकेगा और आबादी के भीतर स्थित भूमि पर मालिकाना हक भी प्राप्त हो सकेगा।

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    UP Gharauni: उत्तर प्रदेश में घरौनी को लेकर आया नया अपडेट

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। घरौनी को कानूनी मान्यता देने के लिए राजस्व विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। राजस्व, वित्त व न्याय विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों की संस्तुति के बाद घरौनी को कानूनी मान्यता देने संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में पेश किए जाने की तैयारी की जा रही है। 

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    कैबिनेट की स्वीकृति के बाद इस मसौदे को विधानसभा के मानसूत्र में पेश किया जा सकता है। विधानसभा से घरौनी कानून के मसौदे को स्वीकृति मिलने के बाद ग्रामीणों को घर बनाने के लिए बैंकों से ऋण मिल सकेगा।

    उत्तर प्रदेश में स्वामित्व योजना के तहत घरौनी को लेकर अभी तक केवल नियमावली बनी थी। इसी के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के घरों की घरौनी तैयार की जा रही है। 

    घरौनी के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा गांवों का ड्रोन सर्वेक्षण कर नक्शा तैयार किया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश के 90,573 गांवों को चिह्नित किया गया है। इनमें से करीब 68,000 से ज्यादा गांवों में बने घरों की घरौनी तैयार की जा चुकी है।

    घरौनी कानून न होने की वजह से ग्रामीणों को घरौनी के आधार पर बैंकों से ऋण नहीं मिलता था। न ही आबादी के भीतर स्थित अविवादित भूमि पर ग्रामीणों को मालिकााना हक मिल रहा था। 

    नतीजतन राज्य सरकार के निर्देश पर राजस्व विभाग ने घरौनी नियमावली में संशोधन करके इससे संबंधित कानून का मसौदा तैयार किया है। राजस्व विभाग द्वारा तैयार मसौदे के अनुसार अविवादित भूमि पर मालिकाना अधिकार को लेकर लेखपाल रिपोर्ट देंगे। 

    इस रिपोर्ट के आधार पर कानूनगो की स्वीकृति से संबंधित व्यक्ति का नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया जाएगा। साथ ही बैनामा, उत्तराधिकार, गिफ्ट डीड व सरकारी उपक्रमों से नीलामी में ली गई भूमि को लेकर तहसीलदार की स्वीकृति के बाद भूमि के मालिक का नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया जा सकेगा। 

    वहीं, भूमि को लेकर विवाद होने पर लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार एसडीएम को रिपोर्ट देंगे। मसौदे के भूमि को विवादित या अविवादित घोषित करने का अधिकार एसडीएम को दिया जाएगा।