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    गाड़ी की नंबर प्लेट पर लिखी जाति तो देना होगा मोटा जुर्माना, उत्तर प्रदेश में नया नियम लागू

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 08:47 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में अब निजी वाहनों की नंबर प्लेट पर जाति लिखवाने पर जुर्माना लगेगा। ऐसा करने पर पांच हजार रुपये तक का चालान हो सकता है। पुलिस एफआईआर में भी आरोपी की जाति का उल्लेख नहीं करेगी सिर्फ एससी-एसटी एक्ट के मामलों में ही उपनाम लिखा जाएगा। सोशल मीडिया पर जाति आधारित कंटेंट पर भी रोक लगाई गई है।

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    एफआइआर में अब नहीं लिखी जाएगी जाति

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पुलिस की लिखापढ़ी में अब किसी आरोपी की जाति का कॉलम नहीं भरा जाएगा। एफआईआर में भी इसे रिक्त छोड़ दिया जाएगा। एससी-एसटी एक्ट के मुकदमों को छोड़कर अन्य मामलों में वादी व आरोपी का उपनाम तो लिखा जाएगा पर उनकी जाति का कोई जिक्र नहीं होगा। गिरफ्तारी मेमो में भी आरोपी की जाति नहीं लिखी जाएगी। 

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    डीजीपी राजीव कृष्ण का कहना है कि सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) के तहत आनलाइन एफआईआर दर्ज किए जाने के प्रोफार्मा से जाति का कॉलम हटाए जाने के लिए एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) को पत्र लिखा गया है। 

    पुलिस दस्तावेजों में जहां जाति दर्ज किए जाने का कॉलम था, वहां अब जाति का उल्लेख न किए जाने का निर्देश है। एफआईआर व अन्य दस्तावेजों में अब माता-पिता दोनों के नामों का उल्लेख करना होगा।

    सीसीटीएनएस में माता के नाम का कॉलम भी बढ़ेगा। सीसीटीएनएस में बदलाव किए जाने तक जाति भरने से जुड़े गैर अनिवार्य कॉलम रिक्त छोड़ दिए जाएंगे। 

    वाहनों पर लिखी जाति तो होगा जुर्माना

    इस आदेश के बाद अब वाहनों पर भी जाति नहीं लिखी जा सकेगी। वाहनों पर जाति आधारित स्लोगन व स्टीकर लगाने पर केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के तहत चालान का निर्देश दिया गया है। नंबर प्लेट पर ऐसा लिखने पर पांच हजार रुपये तथा शीशे अथवा अन्य स्थान पर लिखने पर दो हजार रुपये का चालान होगा। 

    प्रदेश में अब जाति आधारित रैलियां भी नहीं होंगी। शासन ने प्रदेश में जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए पुलिस अभिलेखों के साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर जाति के उल्लेख पर रोक लगाई है।

    मुख्य सचिव दीपक कुमार ने रविवार को इसे लेकर शासनादेश जारी किया था, जिसके अनुसार जाति का नाम न दर्ज किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार थानों पर अपराधियों की जानकारी रखने के लिए रजिस्टर नंबर चार में आरोपियों की जाति दर्ज की जाती है। 

    इसके अलावा थानों से वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी जाने वाली मुकदमों व अपराधों से जुड़ी रिपोर्ट में भी जाति का उल्लेख रहता है। ऐसे सभी दस्तावेजों में अब जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा। 

    थानों पर हिस्ट्रीशीटर के बोर्ड पर भी उनके नाम के आगे जाति नहीं लिखी जाएगी। इसे लेकर लिखित रूप से भी जल्द विस्तृत निर्देश जारी किए जाएंगे। 

    शासनादेश के अनुसार, सोशल मीडिया पर भी जाति आधारित कंटेंट नहीं दिए जा सकेंगे। इसकी मॉनिटरिंग भी कराई जाएगी। पुलिस थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों व साइन बोर्ड से जातीय संकेत और जातीय नारे हटाए जाएंगे।

    यह भी निर्देश

    • जातिगत कारण अथवा अभिमान के चलते जाति का महिमामंडन करने वाले तथा भौगोलिक क्षेत्रों को जातिगत या जागीर घोषित करने वाले साइन बोर्ड भी हटेंगे। ऐसे बाेर्ड भविष्य में न लगें, इसके प्रबंध भी किए जाएंगे।
    • थाने के नोटिस बोर्ड पर भी किसी आरोपी की जाति नहीं लिखी जाएगी।
    • इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जातिगत द्वेष फैलाने अथवा जातिगत भावनाओं को भड़काने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी।

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