यूपी में सम्मान निधि पाने वाले किसानों को एम-पैक्स सदस्य का सदस्य बनाएगा सहकारिता विभाग, लक्ष्य तय
उत्तर प्रदेश में एम-पैक्स सदस्य किसानों की संख्या 1.03 करोड़ पार कर गई है। हाल ही में चले सदस्यता अभियान में 22.68 लाख से अधिक किसान एम-पैक्स के सदस्य बने। सहकारिता विभाग का लक्ष्य है कि किसान सम्मान निधि पाने वाले सभी किसानों को एम-पैक्स का सदस्य बनाया जाए, ताकि उन्हें खाद-बीज और ऋण आसानी से मिल सके।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। समय से पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज पाने, एमएसपी पर धान, गेहूं बेचने में प्राथमिकता और सहकारी बैंकों से खेती-किसानी के लिए कम ब्याज दर पर ऋण पाने के लिए 22.68 लाख से अधिक किसान बहुद्देशीय प्रारंभिक कृषि ऋण समितियों (एम-पैक्स) की सदस्यता अभियान में सदस्य बने हैं।
इन नए सदस्यों के जुड़ने के बाद राज्य में एम-पैक्स सदस्यों की संख्या 1.03 करोड़ पहुंच गई है। विभाग का लक्ष्य किसान सम्मान निधि पाने वाले सभी किसानों को एम-पैक्स सदस्य बनाने की है। इस प्रकार अभी 1.85 करोड़ किसानों को एम-पैक्स सदस्य बनाने का बड़ा लक्ष्य विभाग के सामने है।
गौरतलब है कि प्रदेश में करीब 2.88 करोड़ किसान किसान सम्मान निधि के दायरे में हैं। इस बार 2.15 करोड़ किसानों को सम्मान निधि की किस्त मिली। सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर के मुताबिक 12 सितंबर से एम-पैक्स सदस्यता अभियान शुरू की गई थी, जो 15 नवंबर को समाप्त हुई, जिसमें 22.68 लाख से अधिक किसानों ने सदस्यता ली।
नए सदस्यों की संख्या जुड़ने के बाद अब कुल 1.03 करोड़ किसान एम-पैक्स के सदस्य हो गए हैं। मंत्री के मुताबिक किसान सम्मान निधि पाने वाले सभी किसानों को एम-पैक्स सदस्य बनाने का लक्ष्य है।
अभियान के दौरान जिला सहकारी बैंकों में 2,09,538 नए खाते खुलें, जिससे इन बैंकों में 545.56 करोड़ रुपये जमा हुए। नए सदस्य बनाने में शीर्ष पांच जिलों में महाराजगंज, शाहजहांपुर, उन्नाव, बुलंदशहर और खीरी शामिल हैं।
आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता योगेश कुमार के मुताबिक प्रदेश में मौजूदा समय में 7855 एम-पैक्स सक्रिय हैं। इस बार एम-पैक्स की सदस्यता 40 वर्ष तक आयु के 6.63 से अधिक युवा किसानों के साथ ही 3.16 लाख महिला किसानों ने सदस्यता ली है।
सदस्यता लेने वाले किसानों को मिलने वाले लाभ
सदस्य किसानों को समितियां (एम-पैक्स) कम ब्याजदर पर ऋण देती हैं। समिति की नीतियां और निर्णय सदस्यों की सामूहिक सहमति से तय होते हैं। समिति के मुनाफे में सदस्य किसानों को लाभांश मिलता है।
सदस्यों को सरकारी योजनाओं व सब्सिडी का लाभ प्राथमिकता के आधार पर मिलती हैं। उर्वरकों के वितरण में प्राथमिकता के साथ ही एमएसपी पर धान-गेहूं व अन्य फसलों की खरीद में पंजीकृत सदस्यों को प्राथमिकता दी जाती है।

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