Invest UP: दस वर्ष तक बढ़ाई जाएगी फैक्ट्री लाइसेंस की वैधता, इन्वेस्ट यूपी ने की उद्योग संघों व विभागों के साथ समन्वय बैठक
उत्तर प्रदेश में फैक्ट्री लाइसेंस अब 10 साल के लिए वैध होंगे। इन्वेस्ट यूपी के सुझाव पर ऑटो नवीनीकरण की सुविधा भी मिलेगी। इससे लाइसेंस के लिए हर साल होने वाले हजारों आवेदनों की जरूरत खत्म हो जाएगी। इन्वेस्ट यूपी ने उद्योग संघों के साथ बैठक में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने पर जोर दिया।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में फैक्ट्री लाइसेंस की वैधता एक वर्ष से 10 वर्षों के लिए बढ़ाई जाएगी। इस संबंध में सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। उद्योगपतियों को अगले माह तक यह सुविधा प्रदान कर दी जाएगी।
इन्वेस्ट यूपी के सुझाव पर ईकाइयों के लिए आटो नवीनीकरण की सुविधा भी जल्द प्रदान की जाएगी। इसके बाद फैक्ट्री के लाइसेंस के लिए प्रतिवर्ष 6,700 से अधिक आवेदन और 1,500 से अधिक नवीनीकरण की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।
गुरुवार को पिकअप भवन में इन्वेस्ट यूपी और फायर सर्विस, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिजली, श्रम विभाग के अधिकारियों व विभिन्न औद्योगिक संगठनों प्रतिनिधियों की बैठक में ‘ईज़ आफ डूइंग बिजनेस’ को और बेहतर बनाने पर मंथन किया गया।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई), एसोचैम, फिक्की, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए), इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईएसीसी) और लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधियों ने इन्वेस्ट यूपी की टीम को कई सुझाव दिए।
इन सुझावों में सबसे महत्वपूर्ण सुझाव फैक्ट्री के लाइसेंस की वैधता को एक वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष किए जाने का था। इस पर अधिकारियों ने बताया कि यह व्यवस्था जल्द लागू कर दी जाएगी। साथ ही निवेश मित्र पोर्टल 3.0 को सिंगल-विंडो पोर्टल के रूप स्थापित करने का भी सुझाव उद्यमियों ने दिया।
श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश फैक्ट्री नियमावली-1950 के तहत 17 खतरनाक माने जाने वाले कार्यों में महिलाओं को कार्य करने की अनुमति दी गई है। इनमें मिट्टी के बर्तन निर्माण, कालीन निर्माण, पीतल के बर्तन निर्माण और ताला निर्माण जैसे पारंपरिक उद्योग भी शामिल हैं।
इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों ने बताया कि बिजनेस रिफार्म्स एक्शन प्लान के तहत 45 विभागों में 1,000 से अधिक सुधार, 524 डिजिटाइज्ड सेवाएं, और 200 से अधिक जनहित गारंटी अधिनियम के अंतर्गत सेवाएं उद्यमियों को प्रदान की जा रही हैं।
सीईओ विजय किरन आनंद ने कहा कि सरकारी विभागों में दस्तावेजों की मांग को आधा किया गया है, जिससे निवेश प्रक्रिया पहले की तुलना में कहीं अधिक सरल हो गई है।
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