UP News: नियामक आयोग ने दरें कम करने के मुद्दे पर बिजली कंपनियों से मांगा जवाब
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों को 45% तक कम करने और निजीकरण के प्रस्ताव पर बिजली कंपनियों से जवाब मांगा है। उपभोक्ता परिषद ने उपभोक्ताओं के 33122 करोड़ रुपये बकाया होने पर दरें कम करने का प्रस्ताव रखा था। परिषद ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए निजीकरण रद्द करने की मांग की है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरें 45 प्रतिशत कम करने और बिजली कंपनियों के निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने जैसे अहम मुद्दों पर बिजली कंपनियों से जवाब मांगा है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद द्वारा बिजली दरों पर सुनवाई के दौरान बिजली दरें कम कराने के लिए की गई पेशबंदी और दाखिल आपत्तियों पर आयोग ने बिजली कंपनियों से जवाब मांगा है।
नियामक आयोग सचिव की तरफ से सभी बिजली कंपनियों से उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल की गई आपत्तियों पर जवाब दाखिल करने के लिए पत्र लिखा गया है।
गौरतलब है कि उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली दरों की सुनवाई के दौरान बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 33,122 करोड़ रुपये के एवज में बिजली दरें 45 प्रतिशत कम करने अथवा पांच साल तक नौ प्रतिशत कम करने का मुद्दा उठाया था।
इसके साथ ही उन्होंने पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण में भ्रष्टाचार को आरोप लगाते हुए निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था।
इन मुद्दों पर लिखित आपत्तियां भी दाखिल की थी। लिखित आपत्तियों पर विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 64(3) के तहत बिजली कंपनियों से जवाब लिया जाना बाध्यकारी होता है।
अवधेश वर्मा ने कहा है कि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत अब ये मुद्दे टैरिफ का अंग बन चुके हैं। बिजली कंपनियों के जवाब के बाद रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत विद्युत नियामक आयोग को भी इस पर अपना मत देना होगा।
आपत्तियों पर बिना विचार किए आयोग अपनी कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ा सकता है। निजीकरण के मामले पर नियामक आयोग को बिजली कंपनियों से जवाब लेना पड़ेगा और उसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत आम जनता के बीच लाना होगा।
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