जेई का ट्रांसफर नहीं करते… तो निजीकरण कैसे कर सकते हैं ऊर्जा मंत्री, विरोध से घिरे एके शर्मा ने झाड़ा पल्ला
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध पर कहा कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कर्मचारी संगठनों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ अराजक तत्व निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि निजीकरण का निर्णय मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स ने लिया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम के 42 जिलों की विद्युत व्यवस्था के निजीकरण के विरोध के साथ ही प्रदेशभर में खराब बिजली आपूर्ति की शिकायतों से घिरे ऊर्जा मंत्री एके शर्मा निजीकरण से पल्ला झाड़ते हुए विरोध के पीछे साजिश की आशंका जता रहे हैं और कर्मचारी संगठनों पर प्रश्न भी खड़ा कर रहे हैं।
ऊर्जा मंत्री के कार्यालय की ओर से सोमवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा गया कि जो मंत्री जेई का ट्रांसफर नहीं करता, वह निजीकरण जैसा बड़ा निर्णय अकेले कैसे ले सकता है?
कर्मचारी संगठनों की हड़ताल को लेकर लिखा गया है कि ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी हैं। आगरा के निजीकरण के समय विरोध नहीं किया गया था, क्योंकि बड़े कर्मचारी नेता तब विदेश यात्रा पर चले गए थे।
सोमवार को किए गए पोस्ट में लिखा गया कि कुछ विद्युत कर्मचारी नेता परेशान घूम रहे हैं, क्योंकि उनके सामने मंत्री झुकते नहीं हैं। ज्यादातर मेहनत कर रहे हैं, लेकिन कुछ की वजह से विभाग बदनाम हो रहा है। शर्मा के तीन वर्ष के कार्यकाल में चार बार हड़ताल कर चुके हैं।
पोस्ट में सवाल उठाते हुए लिखा गया है कि अन्य विभागों में हड़ताल क्यों नहीं हो रही? वहां यूनियन नहीं हैं या समस्या नहीं हैं? इन लोगों द्वारा ली गई सुपारी के तहत ही कुछ दिन पहले ये अराजक तत्व मंत्री के निवास पर आकर निजीकरण के विरोध के नाम पर अभद्रता की।
निजीकरण पर पोस्ट में कहा गया है कि जब 2010 में टोरेंट कंपनी को आगरा दिया गया, तब भी यही यूनियन लीडर थे। कैसे हो गया निजीकरण? सुना है वो शांति से इसलिए हो गया कि ये बड़े कर्मचारी नेता लोग हवाई जहाज से विदेश पर्यटन पर चले गए थे।
लिखा गया कि कर्मचारी नेता यह जानते ही होंगे कि निजीकरण का इतना बड़ा निर्णय अकेला एके शर्मा का नहीं हो सकता। जब पावर कारपोरेशन प्रबंधन की सामान्य कार्यशैली स्वतंत्र है तो यह कैसे हो सकता है?
सभी जानते हैं कि निर्णय मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स ले रही है। उसके तहत ही सारी कार्यवाही हो रही है। राज्य सरकार की उच्चस्तरीय अनुमति से ही निजीकरण का औपचारिक शासनादेश हुआ है।
सीएम से लेकर पीएम तक को किया टैग
एके शर्मा ऑफिस के एक्स हैंडल से की गई इस पोस्ट के माध्यम से अपना संदेश संगठन से लेकर प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है। पोस्ट के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, प्रदेश संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह को टैग किया गया है। इसके साथ ही पावर कारपोरेशन के साथ सभी डिस्कॉम को भी टैग किया गया है।
ऊर्जा मंत्री की बर्खास्तगी को लेकर भी अब आंदोलन
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के पोस्ट पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा है कि मंत्री के आरोप झूठे व भ्रम फैलाने वाले हैं। टोरंट कंपनी को काम मई 2009 में मिला जबकि नेताओं ने जनवरी 2010 में मॉरीशस की यात्रा की थी।
उन्होंने कहा है कि अब निजीकरण के विरोध के साथ ही ऊर्जा मंत्री की बर्खास्तगी के लिए भी आंदोलन होगा। उन्होंने कहा है कि टोरेंट कंपनी का करार रद करने की मांग तो लगातार संघर्ष समिति कर रही है।
समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वह ऊर्जा विभाग की कमान अपने हाथों में लें और निजीकरण के निर्णय को निरस्त करें।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि ऊर्जा मंत्री के पोस्ट से स्पष्ट हो गया है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा निजीकरण के संबंध में निर्णय लिए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार निजीकरण के फैसले को जनहित में निरस्त करते हुए पूरे प्रकरण की जांच कराए।
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