यूपी में महिला सशक्तिकरण की नई उड़ान; 23 लाख महिलाओं को मिला रोजगार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली रफ्तार
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में मनरेगा के माध्यम से 23 लाख से अधिक महिलाओं को रोजगार से जोड़ा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था म ...और पढ़ें

ग्रामीण रोजगार गारंटी में 23 लाख से अधिक महिलाओं को मिला रोजगार
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ग्रामीण विकास और महिला स्वावलंबन के क्षेत्र में योगी सरकार ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। वित्तीय वर्ष 2025–26 में 'विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन' (मनरेगा) के माध्यम से प्रदेश की 23 लाख से अधिक महिलाओं को सीधे रोजगार से जोड़कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में प्रदेश न केवल रोजगार सृजन में आगे बढ़ रहा है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिका में लाकर 'आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश' के संकल्प को भी सिद्ध कर रहा है।
महिला मेट्स के रूप में सशक्त होता नेतृत्व
ग्रामीण रोजगार की व्यवस्था अब केवल मजदूरी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रबंधन का नया मंच बन रही है। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक लगभग 32 हजार महिला मेट्स को कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन महिला मेटों के कौशल और परिश्रम का सम्मान करते हुए सरकार ने 111 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की है। स्वयं सहायता समूहों (NRLM) से जुड़ी महिलाओं को इसमें प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे गाँवों में महिला प्रबंधकों की एक नई पीढ़ी तैयार हो रही है।
पारदर्शिता और त्वरित भुगतान: प्रणाली पर बढ़ा भरोसा
उत्तर प्रदेश सरकार ने रोजगार गारंटी व्यवस्था में 'समयबद्धता' को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया है। आंकड़ों के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में 97 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों को उनका भुगतान समय पर सुनिश्चित किया गया है। पारदर्शिता की इस मजबूत व्यवस्था ने सरकारी योजनाओं के प्रति ग्रामीण आबादी, विशेषकर महिलाओं के विश्वास को कई गुना बढ़ा दिया है।
विकास और समावेशी प्रगति का संगम
प्रदेश में अब तक इस मिशन के तहत 6,703 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं, जिसका सीधा लाभ ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर और स्थानीय रोजगार को मिला है। इस अभियान में समावेशी विकास पर जोर देते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। इसका परिणाम यह है कि गाँवों से शहरों की ओर होने वाला पलायन थमा है और स्थानीय स्तर पर ही आय के स्थायी स्रोत विकसित हुए हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का यह मॉडल अब उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुका है। रोजगार के साथ-साथ सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित कर, यह योजना प्रदेश की करोड़ों महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।

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