यूपी में 20 लाख रोजगार लक्ष्य लेकर आगे बढ़ेगी इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए निर्देश
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति-2025 लागू करने का निर्देश दिया है। इस नीति का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में 50 बिलियन डॉलर का उत्पादन और लगभग 10 लाख रोजगार सृजित करना है। सरकार निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह की छूट और प्रोत्साहन देगी और स्थानीय युवाओं को रोजगार देने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति-2025’ लागू करने के निर्देश दिए हैं। इस नीति का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 50 बिलियन डॉलर मूल्य का उत्पादन करना और करीब 10 लाख प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना है।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की बैठक में कहा कि भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता है, जिसमें अकेले उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत है।
बैठक में विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2014-15 में देश में मात्र 1.9 लाख करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद बनते थे, जो 2024-25 में बढ़कर 11.3 लाख करोड़ रुपये हो गए।
मोबाइल उत्पादन 18 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपये, जबकि मोबाइल निर्यात 1,500 करोड़ रुपये से बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश से लगभग 37 हजार करोड़ रुपये का इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर निर्यात किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रदेश सरकार केंद्र की इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के साथ टाप-अप इंसेंटिव देगी। इसके साथ ही पूंजीगत निवेश पर आकर्षक सब्सिडी, स्टाम्प व बिजली शुल्क में छूट, ब्याज अनुदान, लॉजिस्टिक्स और संचालन सहायता जैसे प्रविधान होंगे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जो निवेशक प्रदेश में अधिक से अधिक रोजगार देंगे और स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देंगे, उन्हें विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। प्रस्तावित नीति अनुसंधान एवं विकास, नवाचार, स्टार्टअप पारिस्थितिकी और कौशल विकास को भी बढ़ावा देगी।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स को और मजबूत किया जाएगा। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कारिडोर से राज्य को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में मजबूती मिलेगी।
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