विद्युत नियामक आयोग में दाखिल होगी लोक हित याचिका, विद्युत उपभोक्ता परिषद कर रहा प्रस्ताव तैयार
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद बिजली दरों में कमी के लिए नियामक आयोग में याचिका दाखिल करेगा। आयोग ने माना कि पावर कारपोरेशन के घाटे के दावे गलत थे, वास्तव में 51 हजार करोड़ रुपये का सरप्लस है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि निजी कंपनियों की तरह सभी बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं को छूट देनी चाहिए। उन्होंने कारपोरेशन के आंकड़ों की जांच की मांग की। अवधेश वर्मा केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य नामित हुए।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद सरप्लस के आधार पर बिजली दरों में कमी के लिए विद्युत नियामक आयोग में लोक-हित याचिका/प्रस्ताव दाखिल करेगा।
अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि आयोग ने परिषद के सभी तथ्यों को स्वीकार करते हुए पावर कारपोरेशन के बिजली दरों में अनावश्यक वृद्धि और घाटे के दावों को खारिज कर दिया है। कारपोरेशन ने लगभग 24,022 करोड़ रुपये के घाटे का हवाला देते हुए औसतन 28 प्रतिशत और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 45 प्रतिशत तक बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था।
उन्होंने बताया कि आपत्तियों, तथ्यों और साक्ष्यों की सुनवाई के बाद आयोग ने स्वीकार किया था कि कारपोरेशन के आंकड़े गलत थे। वास्तव में 18,592 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सरप्लस पाया गया। पहले से उपलब्ध 33,122 करोड़ रुपये को जोड़कर कुल सरप्लस लगभग 51 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
उन्होंने कहा कि नोएडा पावर कंपनी लगभग 1,242 करोड़ रुपये का सरप्लस होते हुए भी लगातार चौथे वर्ष 10 प्रतिशत छूट उपभोक्ताओं को दे रही है। आयोग ने निजी कंपनियों के मामले में यह सिद्धांत स्वीकार किया है, इसलिए अब सभी बिजली कंपनियों पर भी यही मानक लागू होना चाहिए।
वर्मा ने कहा कि कारपोरेशन ने मनमाने आंकड़ों के आधार पर बिजली दर वृद्धि का वातावरण बनाया, बल्कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल को बड़े निजी घरानों को बेचने का प्रयास भी किया जा रहा था। इसलिए जरूरी है कि सरकार कारपोरेशन के सभी आंकड़ों की उच्चस्तरीय जांच कराए और स्पष्ट करे कि किस आधार पर भ्रामक तथ्य तैयार किए, जिससे सरकार की छवि धूमिल हुई।
अवधेश वर्मा केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य नामित
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा को केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने केंद्रीय सलाहकार समिति का सदस्य नामित किया है। परिषद ने भारत सरकार और केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग को विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से आभार जताया है।
उत्तर प्रदेश विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 80 के तहत गठित सेंट्रल एडवाइजरी कमेटी ऊर्जा क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था है। इस कमेटी में भारतवर्ष से वाणिज्य, उद्योग, परिवहन, कृषि, श्रम व उपभोक्ताओं के 28 प्रतिनिधि सदस्य के रूप में नामित किए गए हैं।
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर विद्युत उपभोक्ताओं के हितों में जो भी संवैधानिक मामले आएंगे परिषद न्याय दिलाने की पूरी कोशिश करेगा।

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