नए साल में यूपी के उपभोक्ताओं को लगेगा बिजली का 'झटका', ढीली करनी होगी जेब
अब स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की पूरी कीमत उपभोक्ताओं को देनी पड़ेगी। ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने विद्युत नियामक आयोगों को इससे संबंधित पत्र जारी कर दिया ...और पढ़ें

राज्य ब्यूुरो, लखनऊ। अब स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की पूरी कीमत उपभोक्ताओं को देनी पड़ेगी। ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने विद्युत नियामक आयोगों को इससे संबंधित पत्र जारी कर दिया है। मंत्रालय के निर्देश के बाद अगले वर्ष 2026-27 के लिए घोषित होने वाले टैरिफ आदेश में बिजली दरें बढ़ना तय माना जा रहा है। नई व्यवस्था में बिजली कंपनियां स्मार्ट प्रीपेड मीटर की पूरी लागत का भार सभी उपभोक्ताओं से लेंगी।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस पर केंद्रीय ऊर्जा सचिव और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को विरोध पत्र भेजा है। प्रतिलिपि विद्युत नियामक आयोग को भी दी है। पत्र के माध्यम से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। लिखा है कि यह देश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं के साथ धोखा है। विरोध में देश के सभी उपभोक्ता संगठन एक मंच पर आएंगे।
उन्होंने कहा है कि कनेक्शन के समय उपभोक्ता परिसर में जो मीटर लगाए गए थे उसका पैसा उपभोक्ता पहले दे चुके हैं। अब तक उपभोक्ताओं के परिसर में लग पुराने मीटरों को हटाकर लगाए गए स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है।
अब ऊर्जा मंत्रालय ने देश के सभी विद्युत नियामक आयोगों को एक आदेश जारी कर कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर आने वाला पूरा खर्च उपभोक्ताओं के टैरिफ यानी बिजली दर में जोड़ा जाए। इसका सीधा अर्थ यह है कि आने वाले समय में सभी राज्यों में बिजली की दरों में वृद्धि होगी। उपभोक्ताओं से लिए जाने वाले फिक्स चार्ज और एनर्जी चार्ज दोनों बढ़ेंगे।
उन्होंने बताया है कि राज्य में लगभग 3.62 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं ने परिसर में लगे मीटरों की पूरी लागत पहले ही कनेक्शन के समय बिजली कंपनियों को दे दिया है। सिर्फ तीन करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं के सिंगल फेस मीटर की औसत कीमत 872 रुपये मानी जाए तो उपभोक्ताओं द्वारा पहले लगभग 2,616 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।
थ्री फेस मीटर की लागत जोड़ने पर यह राशि लगभग 3000 करोड़ रुपये तक पहुंचती है। गारंटी अवधि के अंदर पुराने मीटर हटाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से उपभोक्ताओं का 3000 करोड़ रुपये पानी में चला जाएगा।इस प्रकार उपभोक्ताओं से मीटर के लिए दो बार वसूली की जाएगी। नए कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत वसूली जा रही है, बाद में बिजली दरें बढ़ने पर इन उपभोक्ताओं से फिर से मीटर की लागत वसूल की जाएगी।
भारत सरकार ने पहले गाइडलाइन जारी कर कहा था कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर सहित पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रति मीटर 6,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि टेंडर 8000 से 9000 रुपये प्रति मीटर की दर से अवार्ड कर दिए गए। यह अतिरिक्त लागत भी बिजली दरों के जरिए उपभोक्ताओं से वसूल की जाएगी।

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