यूपी में बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर, स्मार्ट मीटर को लेकर हो सकता है ये बदलाव
विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2025-26 के टैरिफ आदेश में लिखा है कि रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) में भले ही उपभोक्ताओं के कनेक्शन पर प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की बाध्यता है, लेकिन विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को पोस्टपेड अथवा प्रीपेड स्मार्ट मीटर चुनने का विकल्प देती है। आयोग की इस टिप्पणी के बाद पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अनिवार्यता के बजाय उपभोक्ताओं को प्रीपेड अथवा पोस्ट पेड स्मार्ट मीटर चुनने का विकल्प दे सकता है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2025-26 के टैरिफ आदेश में लिखा है कि रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) में भले ही उपभोक्ताओं के कनेक्शन पर प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की बाध्यता है, लेकिन विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को पोस्टपेड अथवा प्रीपेड स्मार्ट मीटर चुनने का विकल्प देती है। आयोग की इस टिप्पणी के बाद पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अनिवार्यता के बजाय उपभोक्ताओं को प्रीपेड अथवा पोस्ट पेड स्मार्ट मीटर चुनने का विकल्प दे सकता है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने टैरिफ आदेश के हवाले से कहा है कि विद्युत अधिनियम-2003 को मानना बिजली कंपनियों के लिए बाध्यकारी है। आयोग ने यह भी कहा है कि अभी कोई टिप्पणी इसलिए नहीं की जा रही है क्योंकि इस मामले में तमाम याचिकाएं न्यायालयों में लंबित हैं। आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अनिवार्यता अधिनियम में कहीं नहीं है। उपभोक्ताओं के अधिकार सर्वोच्च हैं।
उन्होंने कहा है कि आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को प्रीपेड और पोस्टपेड मीटर चुनने का विकल्प देती है। उन्होंने सवाल किया है कि कॉरपोरेशन प्रबंधन किस अधिकार से उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर को उनकी सहमति के बिना अनिवार्य रूप से प्रीपेड मोड में परिवर्तित कर रहा है।
पावर कारपोरेशन को कानून का पालन करते हुए उपभोक्ताओं को विकल्प देना चाहिए। मांग की है कि किसी भी उपभोक्ता के स्मार्ट मीटर को बगैर उसकी सहमति लिए प्रीपेड मोड में बदलने पर रोक लगाई जाए।

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