'स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर तल्काल लगाई जाए रोक', उपभोक्ता परिषद ने आयोग में दाखिल की याचिका
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर व स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर आ रही शिकायतों के बीच राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव (याचिका) दाखिल किया है। जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर तत्काल रोक लगाने के साथ ही इन मीटरों की जांच कराई जाए।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में स्मार्ट मीटर व स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर आ रही शिकायतों के बीच राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव (याचिका) दाखिल किया है। जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर तत्काल रोक लगाने के साथ ही इन मीटरों की जांच कराई जाए।
विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को पोस्टपेड अथवा प्रीपेड स्मार्ट मीटर का विकल्प दिया जाए। वहीं पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने स्मार्ट मीटर व स्मार्ट प्रीपेड मीटर के बारे में भ्रम फैलाने का आरोप कुछ संगठनों पर लगाया है। दावा किया है कि कोई भी स्मार्ट मीटर तेज चलते हुए नहीं पाया गया है।
शुक्रवार को उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाक़ात कर प्रस्ताव दाखिल किया। प्रस्ताव में लिखा है कि वर्तमान में उपभोक्ताओं के घरों में जो कंपनियां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही हैं उसमें से दो मीटर निर्माता कंपनियों के सिंगल फेस के इलेक्ट्रानिक मीटर जांच में फेल निकले हैं।
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम नएप्पलटोन इंजीनियर्स कंपनी के सिंगल फेस मीटर के सैंपल सीतापुर, लखनऊ (लेसा), गौरीगंज, रायबरेली, बदायूं, हरदोई से सीपीआरआइ भोपाल में जांच के लिए भेजे गए हैं। सैंपल मीटर जांच में फेल पाए गए हैं। डिस्प्ले में गड़बड़ी, इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट की खराब गुणवत्ता के मामले सामने आए हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में भी इस कंपनी के मीटर सैंपल जांच में फेल हुए हैं। लिंक बेल टेली सिस्टम कंपनी के बदायूं से भेजे गए स्मार्ट मीटर के नमूने भी सीपीआरआइ नोएडा में फेल पाए गए। इन दोनों मीटर निर्माता कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है।
लिंक वेल टेली सिस्टम के मीटरों में गंभीर खामियां मिलने पर पावर कारपोरेशन ने मार्च 2025 में कंपनी को तीन वर्ष के लिए डिबार करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद इस कंपनी से मीटर खरीदे जा रहे हैं। परिषद ने यह भी मांग की है कि सभी कंपनियों के स्मार्ट प्रीपेड मीटर के सैंपल सीपीआरआइ को जांच के लिए भेजे जाएं। जांच रिपोर्ट आने तक कंपनियों का भुगतान रोका जाए। मीटरों में बड़े पैमाने पर चीनी कंपोनेंट्स लगाए जाने की जांच कराई जाए। आयोग इसमें उच्च स्तरीय जांच का आदेश दे।
पावर कारपोरेशन ने कहा एक भी मीटर तेज चलने नहीं मिलें
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने कहा है कि कुछ संगठन नियामक आयोग के टैरिफ आदेश की भ्रामक व्याख्या कर रहे हैं। स्मार्ट मीटर पूरी तरह सही, पारदर्शी और उपयोगी है। उपभोक्ताओं की संतुष्टि के लिए 3.41 लाख चेक मीटर लगाए गए हैं। चेक मीटर व स्मार्ट मीटर पर बिजली खपत का मिलान लगातार किया जा रहा है। एक भी स्मार्ट मीटर तेज चलते हुए नहीं पाया गया है।
प्रबंधन का कहना है कि कुछ संगठन यह भ्रम फैला रहे हैं कि आयोग ने अपने टैरिफ आदेश में कहा है कि उपभोक्ताओं की सहमति के बिना प्रीपेड मोड में स्मार्ट मीटर नहीं बदले जा सकते हैं। कहा है कि आदेश में यह कहा गया है कि प्रीपेड मीटर की अनिवार्य स्थापना के खिलाफ जनहित याचिकाएं विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं। जब तक एक स्पष्ट कानूनी समझ नहीं बनती, आयोग ने कहा है कि चाहे मीटर प्रीपेड हो या पोस्टपेड उपभोक्ता को सही मीटर दिया जाना चाहिए।

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