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    यूपी में विद्युत अधिनियम का उल्लंघन? प्रीपेड व पोस्टपेड बिजली मीटर का विकल्प के लिए राष्ट्रपति को पत्र

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 02:00 AM (IST)

    राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर में प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर चुनने का विकल्प न देने का मुद्दा उठाया है। परिषद का कहना है कि विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 47(5) का उल्लंघन हो रहा है, जो उपभोक्ताओं को मीटर चुनने का अधिकार देता है। परिषद ने नियामक आयोग की अनुमति के बिना मीटर की कीमत वसूलने पर भी आपत्ति जताई है।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र भेजकर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर में प्रीपेड अथवा पोस्टपेड मीटर चुनने का विकल्प नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाया है।

    लिखा है कि प्रदेश में विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 47(5) का उल्लंघन किया जा रहा है। यह अधिनियम उपभोक्ताओं को प्रीपेड और पोस्टपेड मीटर में से एक को चुनने का अधिकार देता है।

    परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा द्वारा राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र की प्रति केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ ही केंद्रीय ऊर्जा सचिव को भी भेजी गई है। वर्मा ने लिखा है कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय कानून विद्युत अधिनियम-2003 का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।

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    अधिनियम की धारा 47(5) के अनुसार प्रत्येक उपभोक्ता को प्रीपेड अथवा पोस्टपेड मीटर में से किसी एक को चुनने का कानूनी अधिकार है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन तथा प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियां इस अधिकार का उल्लंघन कर रही हैं।

    उपभोक्ताओं को सिर्फ प्रीपेड मीटर लगवाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। नियामक आयोग की अनुमति के बगैर उपभोक्ताओं से मीटर की कीमत वसूली जा रही है।

    मांग की है कि पावर कारपोरेशन और विद्युत वितरण कंपनियों के कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। राज्य सरकार और विद्युत नियामक आयोग को निर्देशित किया जाए कि वे अधिनियम का अनुपालना सुनिश्चित कराएं। जब तक नियामक आयोग से स्वीकृति न मिल जाए, तब तक किसी भी प्रकार के शुल्क की वसूली पर रोक लगाई जाए।