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यूपी चुनाव 2022 : एक ही खाप से जुड़े थे मृगांका सिंह और नाहिद हसन के पूर्वज, जानें- दोनों नेताओं के इतिहास के रोचक तथ्य

UP Vidhan Sabha Election 2022 मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में नाहिद हसन के पूर्वजों ने इस्लाम अपनाया जबकि मृगांका सिंह के पूर्वज सनातन धर्म से ही जुड़े रहे। दोनों ही परिवारों के सदस्य खुले रूप से स्वीकार करते हैं कि वे कभी एक ही खाप के सदस्य रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 05:00 PM (IST)
यूपी चुनाव 2022 : एक ही खाप से जुड़े थे मृगांका सिंह और नाहिद हसन के पूर्वज, जानें- दोनों नेताओं के इतिहास के रोचक तथ्य
कैराना से सपा प्रत्याशी नाहिद हसन और भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह दोनों के पूर्वज एक ही खाप से जुड़े थे।

शामली [योगेश कुमार 'राज']। दिग्गज राजनीतिज्ञ बाबू हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह और चारों सदनों का सबसे कम उम्र में प्रतिनिधित्व करने वाले मुनव्वर हसन के बेटे नाहिद हसन विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे के धुर विरोधी जरूर हैं, लेकिन इन दोनों से जुड़ा रोचक तथ्य यह है कि नाहिद और मृगांका दोनों के ही पूर्वज एक ही खाप से जुड़े थे, साथ ही नाहिद के भी पूर्वज सनातन धर्म में आस्था रखते थे। मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में नाहिद हसन के पूर्वजों ने इस्लाम अपनाया था, जबकि मृगांका के पूर्वज सनातन धर्म से ही जुड़े रहे। दोनों ही परिवारों के सदस्य खुले रूप से स्वीकार करते हैं कि वे कभी एक ही खाप के सदस्य रहे हैं।

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मृगांका के स्वजन एवं कलस्यान खाप के चौधरी रामपाल सिंह बताते हैं कि बाबा कलसा के नाम पर कलस्यान खाप स्थापित की गई थी। बाबा कलसा ही कलस्यान खाप के चौधरी थे और उन्होंने पंजीठ गांव को अपना ठिकाना बनाया था। उसके बाद चौधरी उजाला सिंह कलस्यान खाप के चौधरी बने। उधर, नाहिद हसन के परिवार के हाजी अनवर हसन बताते हैं कि मुगल शासन में उनके पूर्वजों ने इस्लाम धर्म अपना लिया था। उजाला सिंह ने अपनी बेटी की शादी बुंदू सिंह उर्फ फैयाज हसन के साथ की थी। फैयाज हसन के सबसे बड़े पुत्र अख्तर हसन राजनीति में सक्रिय रहे और वे सांसद भी बने। इसके बाद उनके बेटे मुनव्वर हसन ने सबसे कम उम्र में चारों सदनों का प्रतिनिधित्व किया। उनके बाद उनके बेटे नाहिद हसन उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने कैराना विधानसभा सीट से उनको उम्मीदवार बनाया है। वह वर्तमान में भी कैराना के विधायक हैं।

सन 2021 में नाहिद और उनकी माता तबस्सुम हसन के खिलाफ गैंगस्टर का मामला दर्ज हुआ था। इसी मामले में दो दिन पहले पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था, फिलहाल नाहिद जेल में हैं। दूसरी ओर भाजपा ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को कैराना विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित कर रखा है। इस तरह अब दोनों ही राजनीतिक रूप से एक-दूसरे के धुर विरोधी हैं।

दोनों परिवारों में रक्त संबंधों की पुष्टि नहीं : समय-समय पर क्षेत्र में यह चर्चा जोर पकड़ती है कि दोनों ही परिवारों में रक्त का संबंध भी रहा है। इस संबंध में दोनों ही परिवारों के लोगों से बात की गई, लेकिन इसकी कहीं भी पुष्टि नहीं हुई कि दोनों ही परिवारों के बीच कभी रक्त संबंध रहा हो।

दोनों परिवारों की वंशावली : मृगांका सिंह के पिता स्वर्गीय हुकुम सिंह दो भाई थे। उनके बड़े भाई मुख्तार सिंह के बेटे रामपाल सिंह इस समय कलस्यान खाप के चौधरी हैं। हुकुम सिंह के पिता मानसिंह और हुकुम सिंह के दादा नंदा सिंह कलस्यान खाप की विरासत को संभालते रहे। इधर, नाहिद हसन के परिवार की बात करें तो उनके पिता मुनव्वर हसन राजनीति में बहुत सक्रिय थे। नाहिद के दादा अख्तर हसन भी एमपी रहे थे और अख्तर हसन के पिता फैयाज हसन की शादी कलस्यान खाप के चौधरी रहे उजाला सिंह की बेटी से हुई थी।

चारों सदनों के सदस्य रहे मुनव्वर : मुनव्वर हसन सबसे कम उम्र में चारों सदनों के सदस्य रहे थे। उनका नाम गिनीज बुक में भी दर्ज हआ था। कैराना विधानसभा सीट से मुनव्वर हसन ने 1991 और 1993 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। सन 1996 में सपा के टिकट पर कैराना लोकसभा सीट से चुनाव जीते। सन 1998 में लोकसभा चुनाव हारने पर सपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा था। सन 2003 में विधानपरिषद सदस्य बने। 10 दिसंबर 2008 को आगरा के पास सड़क हादसे में मुनव्वर हसन की मृत्यु हो गई थी।

सात बार विधायक रहे हुकुम सिंह : हुकुम सिंह 1974 में कांग्रेस, 1980 में जेएनपी (एससी), 1985 में कांग्रेस, 1996, 2002, 2007 और 2012 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर कैराना विधानसभा सीट से विधायक बने। सन 2014 में भाजपा ने उन्हें कैराना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया और बाबू हुकुम सिंह को जीत मिली। तीन फरवरी 2018 को उनका निधन हो गया था।

चबूतरा-चौपाल से चलती है दोनों परिवारों की राजनीति : कैराना की राजनीति चबूतरा और चौपाल से ही चलती है। बाबू हुकुम सिंह की कलस्यान चौपाल और हसन परिवार के चबूतरे पर ही राजनीति के अधिकतर फैसले होते रहे हैं। कोई भी बड़ी बैठक या बड़ा निर्णय लेना हो तो समाज के लोगों को बाबू हुकुम सिंह की ओर से चौपाल तो हसन परिवार की ओर से चबूतरे पर बुलाया जाता रहा है। सुबह-शाम चबूतरा-चौपाल पर समाज के लोगों का आना-जाना भी लगा रहता है। भाजपा से मृगांका सिंह और सपा से नाहिद हसन का टिकट होने के बाद अब चबूतरा- चौपाल पर एक बार फिर राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।


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