UP News: शिक्षा योजनाओं की पारदर्शिता पर हो रहा है सोशल आडिट
UP Education News: संस्थानों का कहना था कि विद्यालय स्तर पर सर्वे, डाटा संकलन, सामुदायिक संवाद और रिपोर्ट तैयार करने में अपेक्षाकृत अधिक समय की आवश्यकता है। इसी के मद्देनजर अंतिम तिथि 31 अक्टूबर तय की गई है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: शिक्षा योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सोशल आडिट की समय सीमा बढ़ा दी गई है। अब यह कार्य 31 अक्टूबर तक पूरा किया जा सकेगा।
शिक्षा मंत्रालय के निर्देश के अनुसार देशभर के विश्वविद्यालयों को यह अवसर दिया गया है ताकि वे सामाजिक आडिट की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और व्यापक तरीके से पूरा कर सकें। इस प्रक्रिया में विद्यालयों के शिक्षक, छात्र, अभिभावक, स्थानीय समुदाय और ग्राम पंचायत प्रतिनिधि भी सक्रिय रूप से शामिल किए गए हैं।
राज्य परियोजना निदेशक मोनिका रानी ने बताया कि इंटीग्रल विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय और सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ समेत कई विश्वविद्यालयों ने समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था। इन संस्थानों का कहना था कि विद्यालय स्तर पर सर्वे, डाटा संकलन, सामुदायिक संवाद और रिपोर्ट तैयार करने में अपेक्षाकृत अधिक समय की आवश्यकता है। इसी के मद्देनजर अंतिम तिथि 31 अक्टूबर तय की गई है।
दरअसल, सोशल आडिट केवल एक औपचारिक जांच नहीं, बल्कि शिक्षा योजनाओं में पारदर्शिता, संसाधनों के सही उपयोग और लाभार्थियों तक योजनाओं की वास्तविक पहुंच का मूल्यांकन करने का माध्यम है। पिछले चार माह से आडिट के दौरान विद्यालयों की सुविधाएं, शिक्षण की गुणवत्ता, मिड-डे मील योजना, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन और समग्र शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं की प्रभावशीलता की जांच की जा रही है।
उद्देश्य यह है कि शिक्षा पर खर्च होने वाले प्रत्येक रुपये का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। अधिकारियों का कहना है कि सोशल आडिट से प्राप्त निष्कर्ष भविष्य की नीतियों और योजनाओं के निर्माण का आधार बनेंगे। इससे यह स्पष्ट होगा कि किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है और किन योजनाओं ने वास्तव में जमीनी स्तर पर असर दिखाया है।
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