Clean and Green Education: स्वच्छ हरित शिक्षा में प्रदेश को माडल बनाने पर जोर, बीएसए और डीआईओएस की भूमिका तय
Clean and Green Education स्वच्छ हरित शिक्षा का उद्देश्य विद्यालयों में स्वच्छ हरित और पर्यावरण अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही है। इसके तहत स्कूलों का मूल्यांकन साफ-सफाई कचरा प्रबंधन पौधारोपण ऊर्जा संरक्षण जल प्रबंधन और विद्यार्थियों में पर्यावरणीय चेतना बढ़ाने जैसे मानकों पर कार्य किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: केंद्र की स्वच्छ व हरित विद्यालय रेटिंग 2025-26 योजना में अब प्रदेश के सभी स्कूलों को भागीदारी का एक और अवसर मिला है। शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस अभियान की पंजीकरण और फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर कर दी है। इससे पंजीकरण से वंचित विद्यालय इसमें शामिल हो सकते हैं।
यह पहल विद्यालयों में स्वच्छ, हरित और पर्यावरण अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही है। इसके तहत स्कूलों का मूल्यांकन साफ-सफाई, कचरा प्रबंधन, पौधारोपण, ऊर्जा संरक्षण, जल प्रबंधन और विद्यार्थियों में पर्यावरणीय चेतना बढ़ाने जैसे मानकों पर कार्य किया जाएगा।
मुख्य पहलू
- स्वच्छता और स्वच्छता: स्कूलों में पानी, साफ-सफाई और स्वच्छता सुविधाओं का एक मजबूत और अच्छी तरह से अनुरक्षित ढांचा सुनिश्चित करना।
- हरियाली को बढ़ावा: पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने वाली प्रथाओं को बढ़ावा देना, जैसे कि पेड़ लगाना और कचरा मुक्त वातावरण बनाना।
- पर्यावरण जागरूकता: छात्रों के बीच पर्यावरण के महत्व और स्थायी जीवन के तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना।
- डिजिटल और टिकाऊ भविष्य: हरित और डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं की ओर बदलाव के संदर्भ में छात्रों को सशक्त बनाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना।
- रेटिंग प्रणाली: स्कूलों को उनकी स्वच्छता और स्थिरता प्रथाओं के आधार पर मूल्यांकन और पुरस्कृत करने के लिए एक अनिवार्य, सार्वभौमिक रेटिंग प्रणाली का उपयोग करना।
शिक्षा के माध्यम से स्कूलों में स्वच्छता और हरियाली को बढ़ावा देना
स्वच्छ हरित शिक्षा का उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से स्कूलों में स्वच्छता और हरियाली को बढ़ावा देना है। जिससे छात्रों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना विकसित हो सके। यह स्वच्छ भारत: स्वच्छ विद्यालय और स्वच्छ एवं हरित विद्यालय रेटिंग जैसी राष्ट्रव्यापी पहलों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिसका लक्ष्य स्कूलों को स्वच्छता, स्थिरता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के मॉडल में बदलना है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिकों के निर्माण पर जोर देती है।
बीएसए और डीआईओएस को निर्देश
शिक्षा विभाग ने अपेक्षा की है कि सभी विद्यालय इस राष्ट्रीय अभियान में शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करें। इसके अनुरूप सभी बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने जिलों के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों को पंजीकरण के लिए प्रेरित करें। विभाग का जोर है कि प्रदेश इस रेटिंग में देश का माडल राज्य बनकर उभरे।
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