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    UP Cabinet: अब पूरे प्रदेश में लागू होगा दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान कानून

    By Vivek Rao Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Fri, 14 Nov 2025 04:47 PM (IST)

    UP Cabinet Approval: ग्रामीण क्षेत्रों सहित राज्य के सभी जिलों के प्रतिष्ठान भी इस कानून के दायरे में आएंगे। यह अधिनियम उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा, जिनमें 20 या उससे अधिक कर्मकार कार्यरत हैं। इससे अधिक से अधिक श्रमिक कानूनी संरक्षण के दायरे में आएंगे और उनके अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा होगी।

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    श्रम मंत्री अनिल राजभर

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: प्रदेश सरकार ने दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 में बड़े और व्यापक संशोधन को स्वीकृति देते हुए इसे नगरीय क्षेत्रों से बढ़ाकर पूरे प्रदेश में लागू कर दिया है। अब ग्रामीण क्षेत्रों सहित राज्य के सभी जिलों के प्रतिष्ठान भी इस कानून के दायरे में आएंगे। यह अधिनियम उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा, जिनमें 20 या उससे अधिक कर्मकार कार्यरत हैं। इससे अधिक से अधिक श्रमिक कानूनी संरक्षण के दायरे में आएंगे और उनके अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा होगी।
    श्रम मंत्री अनिल राजभर के अनुसार इससे छोटे प्रतिष्ठानों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और वे अपनी आर्थिक गतिविधि सुचारू रूप से चला सकेंगे, जबकि बड़े प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को कानून के तहत सभी लाभ मिलेंगे। इस अधिनियम के दायरे को और विस्तारित करते हुए क्लीनिक, पालिक्लीनिक, प्रसूति गृह, आर्किटेक्ट, कर सलाहकार, तकनीकी सलाहकार, सेवा प्रदाता, सेवा मंच और इसी प्रकार के अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी इसमें शामिल कर लिया है। इससे इन इकाइयों में कार्यरत कर्मचारियों को भी सुरक्षित कार्य परिस्थितियों और निर्धारित लाभों का अधिकार मिलेगा।

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    इसके साथ ही महिला कर्मकारों की रात्रिकालीन पाली का समय भी संशोधित किया गया है। पहले यह अवधि रात नौ बजे से सुबह छह बजे तक थी, जिसे अब शाम सात बजे से सुबह छह बजे तक कर दिया गया है। इसके साथ ही जहां कर्मचारी दिनभर खड़े होकर काम करते हैं, वहां उनके लिए बैठने की अनिवार्य व्यवस्था की गई है। सभी नियोक्ताओं को अब प्रत्येक कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना भी अनिवार्य होगा। पहले वाद दायर करने से पूर्व सुधार नोटिस की व्यवस्था नहीं थी, लेकिन अब वाद दाखिल करने से 15 दिन पहले सेवायोजक को इंप्रूवमेंट नोटिस देना अनिवार्य होगा।

    कार्य अवधि और ओवरटाइम में बदलाव
    संशोधन के तहत कर्मचारियों के दैनिक कार्य की अवधि आठ घंटे से बढ़ाकर नौ घंटे कर दी गई है। हालांकि सप्ताह में कुल कार्य अवधि पहले की तरह 48 घंटे ही रहेगी। किसी भी कर्मचारी से एक दिन में अधिकतम 11 घंटे से अधिक कार्य नहीं कराया जा सकेगा, जबकि पहले यह सीमा 10 घंटे थी। ओवरटाइम की सीमा भी 125 घंटे तिमाही से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी गई है व इसका भुगतान वेतन की दोगुणा दर पर किया जाएगा।

    63 वर्ष बाद बढ़ा जुर्माना
    कानून में दंड प्रावधानों में भारी संशोधन किया गया है। अब पहले अपराध पर दो हजार रुपये और दूसरे अपराध पर 10 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। पहले यह जुर्माना मात्र 100 से 500 रुपये तक था। सरकार का कहना है कि इन संशोधनों से प्रदेश में व्यावसायिक गतिविधियां अधिक व्यवस्थित होंगी, श्रमिकों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी और कार्यस्थलों पर पारदर्शिता बढ़ेगी।