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    दो-तिहाई अवधि में एक-तिहाई भी नहीं खर्च हुआ बजट, योजनाओं पर आठ माह में 33 प्रतिशत ही खर्च

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 10:39 AM (IST)

    लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार ने पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बजट में योजनाओं के लिए भारी धनराशि की व्यवस्था की, लेकिन नौकरशाहों की सुस्ती ...और पढ़ें

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    अजय जायसवाल, लखनऊ। अगले वर्ष पंचायत चुनाव और फिर वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ सरकार ने बजट में तमाम योजनाओं-परियोजनाओं के लिए भारी-भरकम धनराशि की व्यवस्था तो की है लेकिन नौकरशाहों की हीला-हवाली, सरकार के मंसूबों पर पानी फेरती दिख रही है।

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    चालू वित्तीय वर्ष के बजट में सिर्फ योजनाओं के लिए ही लगभग 3.88 लाख करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है लेकिन वित्तीय वर्ष के आठ माह में सिर्फ 1.28 लाख करोड़ रुपये ही खर्च हो सके हैं।

    नवंबर तक दो-तिहाई वित्तीय वर्ष गुजरने पर योजनाओं की एक-तिहाई धनराशि भी खर्च न होने को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने मंगलवार को वित्तीय स्वीकृतियों की समीक्षा बैठक बुलाई है। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए योगी सरकार ने मूल बजट से 8,40,582.33 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।

    चूंकि अगले वित्तीय वर्ष के शुरुआत में ही पंचायत चुनाव हो सकते हैं और फिर विधानसभा के चुनाव हैं इसलिए सरकार ने विभिन्न विभागों की तमाम लोक-लुभावन योजनाओं की घोषणा करने के साथ ही उनको अमली जामा पहनाने के लिए बजट में 3,87,647.26 करोड़ रुपये की व्यवस्था भी की।

    गौर करने की बात यह है कि बजट होने पर भी कई अहम विभाग सरकार की मंशा के मुताबिक अहम योजनाओं-परियोजनाओं का भी तेजी से क्रियान्वयन सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं। शासन में मुख्य सचिव, विभागीय अपर मुख्य सचिव व सचिव से लेकर फील्ड में जिलाधिकारी व अन्य का भारी-भरकम प्रशासनिक अमला है लेकिन योजनाओं को रफ्तार नहीं मिल रही है।

    स्थिति यह है कि वित्तीय वर्ष के आठ माह (नवंबर तक) में योजनाओं के मूल बजट का 33 प्रतिशत(1,27.779.45 करोड़ रुपये) ही खर्च किया गया है। वित्तीय वर्ष की दो-तिहाई अवधि में बजट के एक-तिहाई खर्च की स्थिति को देखते हुए शेष चार माह में योजनाओं का 67 प्रतिशत धनराशि खर्च होना फिलहाल असंभव ही माना जा रहा है।

    बजट होने पर भी योजनाओं के कार्य तेजी से न होने पर मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की मंगलवार को बैठक बुलाई है। योजनाओं में तेजी लाने के लिए बजट खर्च में हीला-हवाली बरतने वाले विभागों के अधिकारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री कड़ी कार्रवाई कर सकते हैं, ताकि विभिन्न योजनाओं-परियोजनाओं का लाभ जल्द से जल्द प्रदेशवासियों को मिल सके और विलंब के कारण निर्माण लागत न बढ़े।

    प्रमुख विभागों में खर्च की स्थिति (करोड़ रुपये में)

    विभाग बजट खर्च (प्रतिशत में)
    ग्राम्य विकास 22,760 4962(22)
    नगर विकास 18449 4266(23)
    अवस्थापना विकास 23937 4492(19)
    ग्रामीण जलापूर्ति 24988 3717(15)
    चिकित्सा शिक्षा 7505 1556(21)
    आवास विभाग 6905 702(10)
    बेसिक शिक्षा 15339 3048(20)
    राजस्व विभाग 6478 1606(25)
    सिंचाई 14,098 4351(31)
    समाज कल्याण 12822 5002(39)
    पंचायती राज 11228 4226(38)
    कृषि 6885 2767(40)
    लोक निर्माण 39038 15619(40)
    चिकित्सा स्वास्थ्य 17556 7094(40)