यूपी बोर्ड की दोहरी नीति सारे काम ऑनलाइन, दफ्तर ऑफलाइन
बोर्ड मुख्यालय से लेकर क्षेत्रीय कार्यालय तक का कंप्यूटरीकरण अब तक नहीं हो सका है। चुनिंदा कार्यालयों में कंप्यूटर भी लगे हैं लेकिन, उनका उपयोग पत्र आदि भेजने में ही हो रहा है।
इलाहाबाद [धर्मेश अवस्थी]। अजीब विडंबना है यूपी बोर्ड दो वर्ष से उन्हीं स्कूलों को परीक्षा केंद्र बना रहा है, जहां कम से कम दो कंप्यूटर सिस्टम और एक कंप्यूटर ऑपरेटर नियमित रूप से नियुक्त हों। वहीं बोर्ड मुख्यालय से लेकर क्षेत्रीय कार्यालय तक का कंप्यूटरीकरण अब तक नहीं हो सका है। चुनिंदा कार्यालयों में कंप्यूटर भी लगे हैं लेकिन, उनका उपयोग पत्र आदि भेजने में ही हो रहा है। सहूलियत देने के कई कार्य होने जा रहे हैं लेकिन, संसाधन बढ़ाने की ओर ध्यान नहीं है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा बोर्ड है। हर तरफ डिजिटल इंडिया की धूम है, उसमें बोर्ड हाशिए पर है। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव का कहना है कि शासन ने बोर्ड के कार्यों को तेजी से कराने के लिए एक वर्ष की रूपरेखा तय की है, उस पर काम हो रहा है। आगे और तमाम कार्य होंगे। लोगों को सुविधा के लिए दौडऩा न पड़े इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
2009 में सौंपे प्रस्ताव पर विचार नहीं
यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों में सबसे बड़ा कार्य अभिलेखों के सत्यापन का होता है। इसके लिए 2009 में इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय ने नई दिल्ली की एक एजेंसी से प्रस्ताव तैयार कराकर सौंपा था लेकिन, उस दिशा में बोर्ड के बड़े अफसर व शासन ने कदम आगे नहीं बढ़ाया। इस कार्य के होने से अभिलेखों की हेराफेरी पर भी अंकुश लग जाता।
कंप्यूटर सहायक का पद सृजन नहीं
बोर्ड मुख्यालय व क्षेत्रीय कार्यालयों में एक भी पद कंप्यूटर सहायक का सृजित नहीं है। शासन बोर्ड से तमाम अपेक्षाएं जरूर करता आ रहा है लेकिन, संसाधन व सुविधाएं देने के नाम पर हाथ खींच लिए थे। क्षेत्रीय कार्यालय व बोर्ड ने कुछ पदों को कंप्यूटर सहायक के परिवर्तित करने का प्रस्ताव भी दिया, लेकिन उसे नहीं माना गया। इतना ही नहीं बोर्ड से लेकर क्षेत्रीय कार्यालयों तक में अफसर व लिपिकों के बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं, कई बार उनका अधियाचन भेजा गया, लेकिन कर्मचारी नहीं मिले।
यह सेवाएं हो चुकी हाईटेक
बोर्ड ने कक्षा नौ व 11 का पंजीकरण, हाईस्कूल व इंटर के परीक्षा फार्म, प्रायोगिक परीक्षा के परीक्षकों के आवेदन, कंप्यूटर से परीक्षा केंद्रों का निर्धारण, नई मान्यता के लिए आवेदन, बोर्ड परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्र जैसी सुविधाएं ऑनलाइन हो गई हैं। यह सब कार्य निजी एजेंसियों के भरोसे हैं। सारा काम दूसरों के दम पर कराया जा रहा है।
यह कार्य प्रस्तावित
यूपी बोर्ड 1975 से लेकर अब तक के सारे शैक्षिक अभिलेख चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन करने जा रहा है। यह काम अगस्त 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य है। ऑनलाइन फीस जमा करने के लिए साफ्टवेयर तैयार हो रहा है।
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