UP Basic Education : पेयरिंग किए गए स्कूलों का होगा परीक्षण, होगी भौगोलिक दूरी, छात्र संख्या व अवस्थापना सुविधाओं की जांच
UP Basic Education System बेसिक शिक्षा विभाग ने यह भी निर्णय लिया है कि जिन विद्यालयों का विलय हो गया है वहां बाल वाटिका (प्री-प्राइमरी कक्षा) संचालित की जाएगी। जहां बाल वाटिका संभव नहीं होगी वहां पुस्तकालय खोले जाने की योजना है। यदि कहीं त्रुटि पाई जाती है तो उसमें संशोधन भी किया जाए।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : प्रदेश में अब तक 10,684 परिषदीय विद्यालयों का पेयरिंग (विलय) किया जा चुका है। बेसिक शिक्षा विभाग ने यह कार्य उन स्कूलों के लिए किया जिनमें छात्र संख्या 50 से कम थी, लेकिन शिक्षक संगठनों का कहना है कि कई ऐसे विद्यालय भी विलय में शामिल हैं, जिनमें छात्र संख्या 50 से अधिक थी। इसके अलावा, कुछ विद्यालयों के बीच दूरी एक किलोमीटर से अधिक है, जो छात्रों की सुविधा के हिसाब से अनुचित है।
अब जब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 50 से अधिक नामांकन वाले और बस्ती से एक किलोमीटर से ज्यादा दूर स्थित स्कूलों का पेयरिंग नहीं किया जाएगा। इससे भविष्य में विलय किए जाने वाले विद्यालयों की संख्या घट सकती है।
इस संबंध में मंडल स्तर पर सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को निर्देश है कि वे अपने जिले में पेयरिंग किए गए सभी स्कूलों की भौगोलिक दूरी, छात्र संख्या और अवस्थापना सुविधाओं के आधार पर जांच करें। यदि कहीं त्रुटि पाई जाती है तो उसमें संशोधन भी किया जाए।
वहीं, सीतापुर जिले में 14 विद्यालयों की पेयरिंग की गई, जबकि उनमें 50 से अधिक छात्र नामांकित हैं। यह मामला अब हाईकोर्ट में विचाराधीन है और विभाग को इस पर 21 अगस्त को शपथ पत्र दाखिल करना है।
उधर, बेसिक शिक्षा विभाग ने यह भी निर्णय लिया है कि जिन विद्यालयों का विलय हो गया है, वहां बाल वाटिका (प्री-प्राइमरी कक्षा) संचालित की जाएगी। जहां बाल वाटिका संभव नहीं होगी, वहां पुस्तकालय खोले जाने की योजना है।
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि सरकार के इस नए निर्णय से लाखों बच्चों और उनके अभिभावकों को राहत मिली है, जो दूरी और छात्र संख्या जैसे मुद्दों से चिंतित थे।
अब बाल वाटिकाओं की भी देखरेख करेंगे एआरपी
अकादमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) सिर्फ स्कूलों तक ही सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वे अब बाल वाटिकाओं (प्री-प्राइमरी कक्षाओं) का भी निरीक्षण और शैक्षिक सहयोग करेंगे। इस फैसले का मकसद छोटे बच्चों को बेहतर शिक्षा माहौल देना और शुरुआती शिक्षा को और मजबूत बनाना है।
अब तक एआरपी की जिम्मेदारी यह होती थी कि वे परिषदीय स्कूलों में जाकर शिक्षकों की मदद करें और यह सुनिश्चित करें कि बच्चों की सीखने की क्षमता (लर्निंग आउटकम) बेहतर हो। लेकिन अब वे बाल वाटिकाओं का भी सहयोगात्मक पर्यवेक्षण (सपोर्टिव सुपरविजन) करेंगे।इस संबंध में समग्र शिक्षा योजना के अपर परियोजना निदेशक राजेंद्र प्रसाद ने गुरुवार को सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के प्राचार्यों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा है कि जिन स्कूलों में आंगनबाड़ी केंद्र या बाल वाटिकाएं चल रही हैं, वहां एआरपी और अन्य शैक्षिक पर्यवेक्षक नियमित रूप से जाएं और वहां की शैक्षिक गतिविधियों को देखें। यह भी कहा गया है कि वे सभी संबंधित लोगों को प्रोत्साहित करें कि वे इन स्कूलों में जाकर छोटे बच्चों की कक्षाओं में सहयोग करें। इससे बच्चों की शुरुआती शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ेगी और उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए बेहतर आधार मिलेगा।
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