लखनऊ, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद की सामुदायिक केंद्र, कल्याण मंडल और कंवेशन सेंटर को निजी हाथों में देने की योजना फ्लाप हो गई। बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पास कराकर टेंडर निकाले गए, लेकिन दो फीसद ही लोगों ने रुचि दिखाई। प्रदेश भर में चार से पांच सामुदायिक केंद्र को ही लीज पर लेने की प्रकिया शुरू हो पायी। अन्य में किसी ने रुचि नहीं दिखाई। वहीं परिषद की जमीन पर सामुदायिक केंद्र, कल्याण मंडप और कंवेशन सेंटर को सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) पर बनाने की योजना थी।
लाखों वर्ग फिट जमीन पर करोड़ों रुपये खर्च करने के लिए एक भी निवेशक आगे नहीं आए। यह योजना भी परवाना नहीं चढ़ की। अब परिषद एक बार फिर टेंडर निकालने पर विचार कर रहा है। अपर आवास आयुक्त नीरज शुक्ला ने बताया कि कुछ सामुदायिक केंद्र लखनऊ और गाजियाबाद में लीज पर दिए गए हैं। प्रचार प्रसार योजना करने के बाद आगे फिर से प्रयास किए जाएंगे। वहीं, आवास विकास परिषद की कालोनियों में बनाए गए सामुदायिक केंद्र को निजी हाथों में देने का विरोध स्थानीय आवंटी शुरू से कर रहे हैं।

आवंटियों का तर्क है कि अगर निजी हाथों में व्यवस्थाएं परिषद ने दे दी, तो आम लोगों की पहुंच से दूर हो जाएंगे परिषद के सामुदायिक केंद्र, कल्याण मंडल व कंवेशन सेंटर। ऐसे में परिषद ही पूर्व की तरह उनका संचालन करता रहे। बता दें कि परिषद लीज पर देकर एक मुश्त पैसा कार्यदायी संस्था से लेना चाहता है, लेकिन आवंटी इसका विरोध करते हुए आये हैं। क्योंकि कार्यदायी संस्था बुकिंग करने से लेकर टेंट, कैंटरिंग, लाइटिंग, फ्लावर सहित एक शादी में होने वाले सभी काम निजी एजेंसी करेगी।
इससे यहां शादी ब्याज करना महंगा हो जाएगा। वर्तमान में परिषद बुकिंग करता है और आवंटी अपने बजट के हिसाब से आगे के इंतजाम करता है। कुल मिलाकर कोई बंदिशें नहीं हैं। नई व्यवस्था लागू होने से राजाजीपुरम, इंदिरा नगर, अवध विहार कालोनी, रायबरेली रोड स्थित वृंदावन कालोनी, आम्रपाली जैसी योजनाओं के लाखों आवंटियों को परेशानी उठानी पड़ेगी। फिलहाल परिषक के नव नियुक्त आयुक्त इस मुद्दे पर भी जल्द ही फैसला करेंगे।