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    मुरादाबाद के सांसद डा.एसटी हसन बोले- भाजपा अगर दोबारा सत्ता में आई तो हम नहीं कर सकेंगे दूसरी शादी

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 07 Dec 2021 09:40 AM (IST)

    UP Assembly Election 2022 पीतलनगरी मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद डा. एसटी हसन रविवार रात को एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंन ...और पढ़ें

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    पीतलनगरी मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद डा. एसटी हसन

    लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों में अपना प्रचार शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी के सभी सांसद तथा विधायक भारतीय जनता पार्टी को लेकर खौफ में हैं। जेल में बंद रामपुर से सांसद आजम खां के करीबी मुरादाबाद के सांसद डा.एसटी हसन तो लोगों से साफ-साथ कह रहे हैं कि भाजपा के दोबारा सत्ता में आने से हम लोग दूसरी शादी नहीं कर सकेंगे। सभी मुसलमान अल्लाह के वास्ते बंटे नहीं।

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    पीतलनगरी मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद डा. एसटी हसन रविवार रात को एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने वहां पर एकत्र सभी मुसलमानों को अल्लाह का वास्ता देकर एक रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अल्लाह के वास्ते बंट मत जाना। भाजपा अगर दोबारा उत्तर प्रदेश की सत्ता में आ गई तो फिर कॉमन सिविल कोड लाएगी। जिससे कि हमको कई विशेष अधिकार से वंचित होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हो जाता है तो हम लोग अब आगे दूसरी शादी भी नहीं कर सकेंगे। अब अगर आगे दूसरी शादी करनी है तो फिर भाजपा को किसी भी कीमत पर हराओ।

    मुरादाबाद में एक कार्यक्रम में सपा सांसद डा. एसटी हसन ने मुसलमानों को कॉमन सिविल कोड का खौफ दिखाया। उन्होंने कहा कि भाजपा देश के मुसलमानों को मजदूर बनाकर रखना चाहती है। बहुत जल्द कॉमन सिविल कोड आने वाला है। कौम के लिए मैं आपसे इतनी दरख़्वास्त करना चाहता हूं कि विधानसभा चुनाव आने वाले हैं, अल्लाह के वास्ते इसमें बंट मत जाना। सिर्फ एक ही आपका मकसद होना चाहिए कि भाजपा को हराना है। सांसद ने कहा कि भाजपा ने देश के अंदरूनी हालात बेहद खराब कर दिए हैं। इसका असर अभी नहीं, दस वर्ष बाद दिखेगा।

    देश में अगर कॉमन सिविल कोड लग गया तो मुसलमानों के कई अधिकार छिन जाएंगे। इस कानून के आने के बाद आप दूसरी शादी नहीं कर पाएंगे। मुस्लिम पर्सनल लॉ खत्म हो जाएगा। मुस्लिमों के शैक्षणिक संस्थानों का माइनॉरिटी स्टेटस खत्म हो जाएगा। इसके बाद मुस्लिम संस्थाओं में 50 प्रतिशत मुस्लिमों के पढऩे का अधिकार खत्म हो जाएगा।