Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यूपी में बनेंगे धूल रहित कॉरिडोर, हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार ने बनाया प्लान

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 09:38 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने 2047 तक शहरी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक को 'अच्छी' श्रेणी में लाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए धूल रहित कॉरिडोर बनाए जाए ...और पढ़ें

    Hero Image

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए सरकार पर्यावरण को वर्ष भर शुद्ध रखने के लिए मास्टर प्लान पर काम कर रही है। इसके तहत वर्ष 2047 तक सभी नगरीय क्षेत्रों में वर्ष भर एक्यूआइ (वायु गुणवत्ता सूचकांक) ‘अच्छी’ श्रेणी में रखने के लिए धूल रहित कारिडोर का विकास, 33 प्रतिशत हरित आवरण व मियावाकी वन से पर्यावरण को सुरक्षित बनाया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सरकार के अनुसार खराब वायु गुणवत्ता नागरिकों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। इससे बीमारियों का बोझ बढ़ता है। स्वच्छ आबोहवा से स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा, अस्पतालों पर दबाव घटेगा और कार्यक्षमता बढ़ेगी। यही नहीं निवेशक उन नगरीय क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हैं, जहां वायु गुणवत्ता लगातार बेहतर रहती है। इसलिए ऐसा रोडमैप तैयार किया जा रहा है, जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।

    सड़कों पर उड़ने वाली धूल की चुनौती से निपटने के लिए उन्हें वैश्विक मानकों अनुरूप बनाया जाएगा। प्रमुख और आवासीय सड़कों पर गाड़ियों से सफाई की सुविधा बढ़ाई जाएगी। अधिक यातायात वाली सड़कों पर भी धूल रहित मार्ग विकसित किए जाएंगे।

    निर्माण और ध्वस्तीकरण कचरा (कंस्ट्रक्शन एंड डिस्ट्रक्शन वेस्ट) को नियंत्रित करने के लिए संग्रह और पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) नेटवर्क स्थापित किए जा रहे हैं। निर्माण स्थलों पर धूल को नियंत्रित करने के उपायों को अनिवार्य किया जा रहा है। साथ ही पर्यावरण मानकों का भी कड़ाई से पालन न करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

    शहरी क्षेत्रों में हरित आवरण को 33 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए मियावाकी वन, हरित पट्टियां विकसित की जाएंगी। इससे तापमान नियंत्रित रहेगा। कार्बन अवशोषण बढ़ेगा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में सहायता मिलेगी। स्मार्ट वायू गुणवत्ता निगरानी प्रणाली भी लगाई जाएगी। जिससे भविष्य में नागरिकों को एक्यूआइ की समय समय पर जानकारी उपलब्ध करायी जा सकेगी। इससे लोग जागरूक होंगे और नीतिगत निर्णय लेने के लिए सरकार को वैज्ञानिक डाटा मिल सकेगा।