कान की बनावट में हो विकृति तो सात से नौ वर्ष में करा लें सर्जरी
पीजीआइ में कान की विकृतियों पर आयोजित कार्यशाला में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. राजीव अग्रवाल, प्रो.अंकुर भटनागर, प्रो. अनुपमा सिंह ने दी।
लखनऊ, जेएनएन। यदि किसी को जन्मजात कान की बनावट में विकार है या फिर किसी हादसे में कान क्षतिग्रस्त हो गया है तो कतई परेशान होने की जरूरत नहीं है। प्लास्टिक सर्जरी से इसका सटीक इलाज संभव है। सर्जरी के जरिए विकृति कान को सामान्य बनाया जा सकता है।
प्रो.अग्रवाल ने बताया कि बच्चों एवं बड़ों के कान में कई तरह की विकृतियां होती हैं। कुछ लोगों के कान जन्मजात छोटे, कटे या बाहर को निकले होते हैं। कई बार एक्सीडेंट या चोट लगने से भी कान का आकार विकृत हो जाता है। कान की बनावट ठीक न होने से चेहरे की खूबसूरती प्रभावित होती है। कई बार चश्मा लगाने में दिक्कत के साथ ही सुनाई भी कम पड़ता है। डॉ.अग्रवाल कहते हैं कि ऐसे मरीजों का 100 फीसद इलाज प्लास्टिक सर्जरी में उपलब्ध है।
सात से नौ वर्ष में कराएं सर्जरी
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ.अंकुर भटनागर बताते हैं कि यदि बच्चे में जन्मजात कान की बनावट में कोई दिक्कत है। कान नहीं है, कान में छेद नही है। ऐसी तमाम विकृतियों से जुड़े बच्चों के परिजनों को चाहिये कि वह सात से नौ वर्ष के बीच सर्जरी करा लें क्योंकि इस उम्र के बच्चों की पसलियां मुलायम होती हैं। इससे कार्टीलेज बनाने में आसानी होती हैं। वयस्क होने पर पसलियां कड़ी हो जाती हैं।
सबसे ज्यादा सर्जरी की
दिल्ली के लोकनायक हॉस्पिटल के प्लास्टिक सर्जन प्रो. पीएस भंडारी ने देश में कान की सबसे ज्यादा करीब 900 सर्जरी की हैं। पीजीआइ में आयोजित कार्यशाला में उन्होंने देश भर से आये करीब 50 सीनियर व जूनियर डाक्टरों को कान बनाने के बारे में जानकारी दी।